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बिष्ट बताते हैं कि जौलजीबी और लाली में स्थाई बीओपी (BOP) बना दी गई हैं, जिसके बाद इन इलाकों में अस्थाई तौर पर तैनात जवानों को बीओपी में शिफ्ट कर दिया गया है. असल में अभी तक इस इलाके में नेपाल की बीओपी नहीं थी.
साथ ही बिष्ट बताते हैं कि जौलजीबी और लाली में स्थाई बीओपी (BOP) बना दी गई हैं, जिसके बाद इन इलाकों में अस्थाई तौर पर तैनात जवानों को बीओपी में शिफ्ट कर दिया गया है. असल में जब तक इस इलाके में नेपाल की बीओपी मौजूद नहीं थी, तब तक कुछ जवानों को बॉर्डर पर निगाह रखने के लिए तैनात किया गया था. सशस्त्र सीमा प्रहरी बल के डीएसपी का कहना है कि ये निर्णय सामान्य तौर पर लिया गया है. बीओपी हटाने का प्रचार सौ फीसदी झूठा है. असल में बीओपी स्थापित होने से पहले नेपाली सुरक्षा बलों को उन स्थानों पर तैनात किया जाता था, जहां से इंटरनेशनल बॉर्डर आसानी से पार किया जा सकता था.
बीओपी खोलकर सीमाओं की सुरक्षा कड़ी कर दी है
दरअसल, नेपाल का सीमा विवाद इन दिनों पिथौरागढ़ जिले के लिपुलेख, लिम्पियाधूरा और कालापानी को लेकर चल रहा है. जिसके बाद नेपाल ने खुले बॉर्डर में एक के बाद एक बीओपी खोलकर सीमाओं की सुरक्षा कड़ी कर दी है. लिपुलेख सड़क के उद्धघाटन से पहले इस इलाके में नेपाल की सिर्फ धारचूला में ही बीओपी मौजूद थी. लेकिन बीते 2 महीनों में नेपाल ने छांगरु, जौलजीबी, लाली, डमलिंग, झूलाघाट और पंचेश्वर नेपाल ने स्थाई बीओपी बना दी है. बीओपी में नेपाल सशस्त्र सीमा प्रहरी बल के 35 जवान और एक इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी हर वक़्त मौजूद रहता है.
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