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पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान श्री राम वनवास जाते वक्त आदि गंगा स्यंदिका, जिसे अब सई नदी के रूप में जाना जाता है, उसको पार करते हुए उनके तट पर रात्रि विश्राम किया था और सुबह नदी किनारे एक ऊंचे स्थान पर शिवलिंग स्थापित कर पूजन के बाद श्रंगवेरपुर की ओर रवाना हुए थे.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान श्री राम वनवास जाते वक्त आदि गंगा स्यंदिका, जिसे अब सई नदी के रूप में जाना जाता है, उसको पार करते हुए उनके तट पर रात्रि विश्राम किया था और सुबह नदी किनारे एक ऊंचे स्थान पर शिवलिंग स्थापित कर पूजन के बाद श्रंगवेरपुर की ओर रवाना हुए थे. इस मार्ग को रामवन गमन मार्ग के नाम से भी पूरे प्रदेश और देश मे जाना जाता है. ऐसी मान्यता को बल इसलिए भी मिलता है क्योंकि रामचरित मानस के 188 संख्या के दोहे में सई का जिक्र का उल्लेख देखने को मिलता है. भगवान श्री राम ,सीता,लक्ष्मण ने सई के इसी पावन तट पर रात्रि विश्राम करते हुए सुबह बालू की शिवलिंग बनाकर पूजा किया था. आज इस शिवलिंग को स्थानीय लोगों की मदद से मन्दिर बना लिया गया है. यहां सोमवार को मेला भी लगता है. जिसे हम अब इसे पंचदेवनधाम या बालुकेश्वर के नाम से भी जानते हैं.
क्या कहते है पूर्व पुरातत्व अधिकारी?
पुरातत्ववेत्ता डॉ पीयूष कांत शर्मा बताते है कि बलुए पत्थर का शिवलिंग है. यहां भगवान श्रीराम ने रात्रि विश्राम के बाद सुबह शिव के आराधना के लिए शिवलिंग बनाया था. ये मंदिर 20 फीट टीले पर स्थित है. यहां से मिले तमाम अवशेष इसकी प्रमाणिकता को पर प्रमाणित करते हैं. इतने महत्वपूर्ण मन्दिर को अब तक सरकार पर्यटन के मानचित्र पर लाने में असमर्थ रही है, जबकि मंदिर में दर्शन के लिए सोमवार को हजारों की तादाद में भक्तों का रेला उमड़ता है.मंदिर के पुरोहित पुजारी की मान्यता
बालुकेश्वर नाथ धाम के पुजारी का कहना है कि भगवान राम ने सई नदी किनारे रात्रि विश्राम किया था. भगवान ने बालू से प्रतिमा बनाकर शिव जी का पूजन किया था. जिसका उल्लेख राम चरित मानस के अयोध्या कांड के 188 दोहे में है.
राममंदिर निर्माण के लिए जाएगी पंचदेवनधाम की मिट्टी और सई का जल
भगवान वनवास के दौरान पंचदेवन मंदिर में रुक कर पूजा अर्चना किये थे. 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण का भव्य शिलान्याय होने वाला है. जिसके लिए प्रतापगढ़ के बालुकेश्वर/पंचदेवनधाम से भी मिट्टी और सई का जल जाएगा. जिसकी जिम्मेदारी विहिप नेताओ को मिली है. उन्होंने सई का जल और मिट्टी एकत्र किया है और अब उसे अयोध्या भेजने की तैयारी है.
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