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स्वर्गीय लालजी टंडन (Lalji Tandon) के ओएसडी रहे संजय चौधरी ने बताया कि प्रयागराज (Prayagraj) से टंडन का काफी गहरा नाता रहा.
2001 के कुम्भ में नगर विकास मंत्री रहते हुए उन्होंने कुम्भ के आयोजन को सम्पन्न कराया था. इसके साथ ही प्रयागराज के विकास से भी वे सीधे तौर पर जुड़े रहे. वे ऐसे राजनेता थे जिन्हें 19वीं और 20वीं दोनों शताब्दियों में कुम्भ के आयोजन कराने का मौका मिला था. उनके मुताबिक अयोध्या में राम जन्म भूमि आन्दोलन से भी उनके जुड़े रहने के चलते संगम के बाद उनकी अस्थियां अयोध्या में सरयू नदी और हरिद्वार में गंगा नदी में भी विसर्जित की जाएगी.
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इस मौके पर तीर्थ पुरोहित दीपू मिश्रा ने कहा कि संगम में अस्थि विसर्जन का खास महत्व है. भागीरथी ने अपने पूर्वजों को तारने के लिए मां गंगा को पृथ्वी पर अवतरित किया था. तभी से ये परम्परा चली आ रही है. तीर्थ पुरोहित दीपू मिश्रा के मुताबिक स्वर्गीय लालजी टंडन को हजारों वर्षों तक मोक्ष और मुक्ति मिले इसी कामना को लेकर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अस्थि विसर्जन सम्पन्न कराया गया है।. अस्थि विसर्जन से पहले संगम के वीआईपी घाट पर श्रद्धांजलि सभा भी हुई.ये भी पढे़ं- Gonda Kidnapping Case: किडनैपर्स ने मांगी थी four करोड़ की फिरौती, पुलिस ने बच्चे को छुड़ाया, महिला सहित 5 गिरफ्तार
जिसमें स्वर्गीय लालजी टंडन के अभिन्न मित्र पश्चिम बंगाल के पूर्व गवर्नर पंडित केशरी नाथ त्रिपाठी ने श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी, बीजेपी विधायक हर्ष वर्धन बाजपेयी, विधायक संजय गुप्ता और पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह गौर ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए. इस मौके पर बीजेपी के स्थानीय नेताओं ने भी स्वर्गीय लालजी टंडन को भावभीनी श्रद्धांजलि दी.
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