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कई गुना बढ़ी फ़ीस
लोकेश के मुताबिक हल्द्वानी और देहरादून में मेडिकल कॉलेज में साल 2018-19 तक एमबीबीएस स्टूडेंट की पढ़ाई महज़ 50,000 रुपये में होती थी जो अब कई गुना बढ़ गई है. वह ऑनलाइन आंदोलन के जरिए फ़ीस कम करने की मांग कर रहे हैं ताकि निम्न और मध्यम आय के परिवारों से जुड़े स्टूडेंट आसानी से मेडिकल की पढ़ाई कर सकें.
बता दें कि हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में 125 और देहरादून मेडिकल कॉलेज के 175 एमबीबीएस स्टूडेंट इस समय फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रहे हैं जिन्हें बढ़ी हुई फ़ीस देनी पड़ रही है.कॉलेज मैनेजमेंट की दलील
हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर सीपी भैसोड़ा के मुताबिक एमबीबीएस की फ़ीस बढ़ाई नहीं गई है बल्कि पहले के ही बराबर है. वह कहते हैं कि हल्द्वानी और देहरादून मेडिकल कॉलेजों में बॉंड का सिस्टम खत्म कर दिया है और इसकी वजह से फ़ीस अपने मूल स्ट्रक्चर के मुताबिक ली जा रही है. बॉंड न होने की शर्त पर फ़ीस की राशि Four लाख 26 हज़ार पांच सौ रुपये है और छात्रों से वही ली जा रही है.
भैसोड़ा कहते हैं कि जिन्हें कम फ़ीस में पढ़ाई करनी है वे श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर सकते हैं, वहां बॉंड की सुविधा अब भी लागू है इसलिए फ़ीस कम है. वह यह भी कहते हैं कि स्टूडेंट्स ने अपनी समस्या उन्हें बताई है लेकिन इस पर निर्णय शासन को ही करना है.
अन्य राज्यों में कम है फ़ीस
साल 2019-20 से पहले हल्द्वानी और देहरादून मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले एमबीबीएस स्टूडेंट के लिए बॉंड भरना ज़रूरी था. बॉंड में शर्त थी कि डॉक्टर बनने के बाद उन्हें सरकारी अस्पतालों में ड्यूटी करनी होगी और ये ड्यूटी पांच साल तक कपना अनिवार्य था. ऐसा सरकार ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए किया था. लेकिन अब सरकार ने बॉंड की शर्त खत्म कर दी है.
हल्द्वानी और दून मेडिकल कॉलेज में इस समय कुल मिलाकर सालाना Four लाख 26 हज़ार 500 रुपये सालाना फ़ीस ली जा रही है. इसमें प्रवेश शुल्क 500, शिक्षण शुल्क Four लाख, क्रीड़ा शुल्क 5000, विकास शुल्क 5000, छात्रावास शुल्क 6000 और 10,000 रुपये जमानत राशि के शामिल हैं.
फ़ीस कम करने की मांग कर रहे एमबीबीएस स्टूडेंट्स की दलील है कि अन्य राज्यों में फ़ीस कम है और उत्तराखंड में बहुत ज्यादा है. हरियाणा में फ़ीस तकरीबन 53 हज़ार, उत्तर-प्रदेश में 25 हज़ार, हिमाचल प्रदेश में 60 हज़ार और पंजाब के मेडिकल कॉलेजों में 80 हज़ार रुपये है और इस लिहाज से उत्तराखंड की फ़ीस बहुत ज्यादा है.
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