[ad_1]
कुर्बानी भी मुस्तकिल एक अलग इबादत है और इसकी जगह किसी दूसरी इबादत को जगह नहीं दी जा सकती. जो यह बहस छिड़ी हुई है कि कुर्बानी के पैसे से सदके में दे दी जाए यह गलत है.
कुर्बानी एक मुस्तकिल इबादत
प्रेस प्रवक्ता दारुल उलूम देवबंद अशरफ उस्मानी ने बताया कि देखिए दारुल उलूम देवबंद ने आज जो फतवा जारी किया है वो इस सिलसिले में है कि कुर्बानी एक मुस्तकिल इबादत है. एक इबादत दूसरी इबादत का बदला नहीं हो सकती. जैसे नमाज की जगह जकात नहीं हो सकती, जकात की जगह रोजा नहीं हो सकता, रोजे की जगह हज नहीं हो सकता, इसी तरीके से कुर्बानी भी मुस्तकिल एक अलग इबादत है और इसकी जगह किसी दूसरी इबादत को जगह नहीं दी जा सकती. जो यह बहस छिड़ी हुई है कि कुर्बानी के पैसे से सदके में दे दी जाए यह गलत है और आमतौर से यह वह लोग इस अंदाज की चर्चा करते हैं जो इस्लामी मसले से वाकिफ नहीं है.
बकरीद को लेकर गाइडलाइनदारुल उलूम देवबंद ने कहा है कि कुर्बानी तो करनी ही करनी है. जिस पर फर्ज है, जिस पर वाजिब है, वह तो करेगा ही. उस्मानी ने बताया कि देखिए हमने आज एक गाइडलाइन भी जारी की है और यह कहा है कि जिस तरीके से कोविड-19 का समय है उसमें जो सरकार की गाइडलाइन है उसका ख्याल रखा जाए. ऐसी जगह गोश्त के अवशेष न डाला जाए कि वहां से गलत संदेश जाए. इस्लाम एक अमन चैन मजहब है और उसका इजहार होना चाहिए. मुसलमानों को चाहिए कि वह बहुत अमन शांति के साथ में कुर्बानी करें.
[ad_2]
Source