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अल्मोड़ा में मेडिकल कॉलेज बनाए जाने का ऐलान 16 साल पहले हुआ था. बनना eight साल बाद शुरु हुआ लेकिन निर्माण कार्य अब तक 70% ही हुआ है.
इस्तीफ़ा देकर ख़ामोश हुए डॉक्टर आरसी नौटियाल
बता दें कि अल्मोड़ा में 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने मेडिकल कॉलेज की घोषणा की थी. इसके बाद 2012 में निर्माण कार्य शुरु हुआ. 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मेडिकल कॉलेज शुरु करने का वादा किया था लेकिन आज भी 70 फीसदी ही निर्माण पूरा हो पाया है.
मेडिकल कॉलेज की कक्षाएं चलाने के लिए तैयार होने के दावे के बाद एमसीआई तीन पर इसका निरीक्षण कर चुका है. लेकिन निर्माण कार्य पूरा न हो पाने और फैकल्टी की कमी के कारण मान्यता नहीं मिल पाई.पिछले छह महीने से फंड की कमी और लगातार जारी अव्यवस्थों से नाराज़ होकर कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर आरसी नौटियाल ने इस्तीफ़ा दे दिया है. हालांकि अभी यह इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं किया गया है. डॉक्टर नौटियाल इस मामले पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं और उनसे संपर्क भी नहीं हो पा रहा है.
कोरोना के चलते धीमे पड़े विकास कार्य?
अल्मोड़ा के ज़िलाधिकारी नितिन भदौरिया स्वीकार करते हैं कि मेडिकल कॉलेज का निर्माण पूरा करवाने के लिए डॉक्टर नौटियाल बहुत गंभीरता से प्रयास कर रहे थे. वह यह भी मानते हैं कि पिछले कुछ समय में निर्माण कार्यों की गति धीमी हुई है. हालांकि इसकी वजह वह कोरोना के चलते मज़दूरों की कमी बताते हैं.
भदौरिया कहते हैं कि कुछ निर्माण कार्यों से जुड़े कुछ प्रस्ताव अभी शासन में पेंडिंग है. इन्हें जल्द से जल्द अप्रूवल दिलाने का प्रयास किया जा रहा है और निर्माण कार्यों में भी तेज़ी लाई जा रही है.
सत्ता में आते ही क्लासिस शुरु करवाएगी कांग्रेस
इस बीच पूर्व विधायक कांग्रेस नेता मनोज तिवारी ने कहा कि भाजपा सरकार मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए गंभीर नही है. भाजपा सरकार ने ही प्राचार्य पर लगातार दबाव बनाया जिस कारण प्राचार्य ने इस्तीफ़ा दे दिया. भाजपा को जल्द से जल्द मेडिकल कॉलेज में क्लासिस शुरु करानी चाहिएं. उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस 2022 में सत्ता में आते ही मेडिकल की क्लासिस शुरु कराएगी.
कारण चाहे राजनीतिक हों, प्रशासनिक या कोई और… अल्मोड़ा के मेडिकल कॉलेज न बन पाने की वजह से पहाड़ के युवाओं के डॉक्टर बनने पर ग्रहण लग रहा है. मेडिकल कॉलेज बनने की अब तक की रफ़्तार और प्राचार्य के इस्तीफ़े ने तो यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या कुमाऊं की स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतों और नए डॉक्टर पैदा करने का यह सपना पूरा हो भी पाएगा?
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