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कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए देश के बड़े डॉक्टर और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में काढ़ा पीने का जिक्र किया था. खुद वाराणसी में कोराना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए बने एल-वन अस्पताल राजकीय आयुर्वेद कॉलेज में काढ़े से अब तक डेढ़ सौ मरीजों को दिया गया है. यहां की प्रिंसिपल प्रोफेसर नीलम गुप्ता बताती हैं कि उनके यहां तीन तरीके के काढ़े दिए जाते हैं, जिससे मरीज की इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद मिल रही है. इन्हीं सब बातों को देखते सुनते एक दिन विजय चाय वाले के मन में बात उतर गई. प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम में बोली गई उनकी बातों से प्रेरणा लेकर वाराणसी के विजय कुमार ने आयुर्वेदिक काढ़ा बनाया और उसे तीन महीने तक लगातार हॉटस्पॉट जोन, बफर जोन और शहर के लगभग सभी थानों में निःशुल्क पिलाना शुरू कर दिया था.
लॉकडाउन के कारण बंद हो गई थी चाय की दुकान
काशी के विजय बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले उनकी चाय की दुकान थी, जो लॉकडाउन के कारण बंद हो गई. इसके बाद विजय ने लोगों की मदद करने की ठानी और लॉकडाउन में आयुर्वेदिक काढ़ा पिलाना शुरू किया. विजय ने पहले पुलिस के सहयोग से कोविड-19 के हॉटस्पॉट इलाकों में जाकर लोगों तक इस आयुर्वेदिक काढ़े को पहुंचाया, फिर शहर के बफर जोन सहित लगभग सभी थानों में काढ़े का निःशुल्क वितरण शरू किया. लॉकडाउन में निःशुल्क काढ़ा पिलाने के बाद विजय ने तीन महीने के बाद अनलॉक में वाराणसी के जंगमबाड़ी क्षेत्र में आयुर्वेदिक काढ़े की दुकान खोली. यह काढ़ा इस महामारी में मरहम का काम कर रहा है. विजय ने अपनी दुकान पर 10 रुपये का रेट बोर्ड लगा रखा है.ये भी पढ़ें: केंद्रीय मंत्री शेखावत का CM गहलोत पर तंज: दुनिया कोरोना से और राजस्थान झूठी राजनीति से त्रस्त!
काढ़ा लेने और पीने आए ग्राहकों के पास पैसा नहीं होने पर वह यह काढ़ा लोगों को निःशुल्क भी पिलाते हैं. ज्यादातर लोग अपनी खुशी से पैसे दे देते हैं. विजय समाज सेवा के साथ अपने परिवार की आजीविका भी चला रहे हैं. काढ़ा वॉरियर विजय बताते हैं कि लोगों की सेवा करके वह बहुत संतुष्ट हैं और मौका मिला तो सिर्फ बनारस और यूपी ही नहीं बल्कि पूरे इंडिया को अपना बनारसी काढ़ा पिलाएंगे. काढ़ा पीने आएं संतोष चक्रवर्ती बताते हैं कि कोरोना काल में उन्होंने चाय के जगह काढ़ा पीना शुरू कर दिया है. वह और लोगों से भी कहते हैं कि सभी लोग चाय की जगह काढ़े का इस्तेमाल करें.
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विजय ने अपने आयुर्वेदिक काढ़े में 16 मसालों को शामिल किया है जिसमें तुलसी, अश्वगंधा, मुलेठी, गिलोय, दालचीनी, लौंग, काली मिर्च, छोटी इलाइची, सौंठ पाउडर, काला मुनक्का, तेज पत्ता, अजवाइन, पीपर, गुड़ और अर्जुन का छाल है. विजय इस काढ़े को अच्छे से पकाते हैं, ताकि सभी आयुर्वेदिक मसालों के मिश्रणों का अर्क पूरी तरह से काढ़े में मिल जाए. आपदा को अवसर में बदलने वाले विजय की तरह देश के युवा भी कोरोना जैसे वैश्विक महामारी के दौर में एक अवसर की तलाश में है. ऐसे में विजय चाय वाले से देश में बेरोजगारी की चपेट में आने वाले मजदूर भी कुछ सीख सकते हैं.
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