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राजदा (RJD) का कहना है कि आपदा को अवसर में बदलने की तैयारी जरूर नीतीश सरकार (Nitish Government) कर रही है, लेकिन इसमें वो सफल नही होंगे क्योंकि आपदा के लिए जिम्मेवार भी यही हैं.
2008 को दोहराएगी नीतीश सरकार!
दरअसल नीतीश कुमार को अच्छे से पता है कि चुनावी साल है और अगर इस त्रासदी के वक्त बाढ़ से बर्बाद हुए लोगों को सरकार ने पर्याप्त मदद नहीं की तो इसका खामियाजा सीधे चुनाव में उठाना पड़ेगा. इसलिए नीतीश कुमार मदद पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ने वाले हैं. बता दें कि इसके पहले भी जब 2008 में कुसहा त्रासदी हुई थी तब कई जिले बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हुए थे. तब नीतीश सरकार ने बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए कई ऐसे कदम उठाए थे कि उसका असर चुनाव में तब दिखा जब बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में नीतीश कुमार को शानदार सफलता मिली थी. गौरतलब है कि तब विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार का नाम ही ‘क्विंटलिया बाबा’ रख दिया गया था क्योंकि मदद के तौर पर प्रभावित लोगों को एक एक क्विंटल अनाज भी दिया गया था.
मंत्री की बात से साफ मिलता है संकेतबिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार कहते हैं कि बाढ़ ऐसी त्रासदी है जिसे रोक पाना फिलहाल बिहार के हाथ में नहीं है क्योंकि नेपाल के पानी छोड़ने से बिहार के कई जिले बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हो जाते हैं. लेकिन हमारी सरकार त्रासदी में बर्बाद हुए लोगों के मदद में हर सम्भव कोशिश कर नुकसान की भरपाई करती है. इसका उदाहरण कोसी त्रासदी में देश और बिहार की जनता ने देख लिया है. इस बार भी हम मदद में पीछे नही रहेंगे क्योंकि नीतीश जी कहते हैं कि बिहार के खजाने पर बिहार की जनता का पहला हक़ है.
आरजेडी बोली- चुनाव में जवाब देगी जनता
वहीं कोरोना की वजह से जिन लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ा है उनके लिए मुफ्त राशन देने के लिए आपदा के दौरान 23 लाख लोगों का नया राशन कार्ड बनवाया गया. जाहिर है इसका फायदा भी नीतीश सरकार को मिल सकता है. हालांकि राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि आपदा को अवसर में बदलने की तैयारी ज़रूर नीतीश सरकार कर रही है लेकिन इसमें वो सफल नही होंगे क्योंकि आपदा के लिए ज़िम्मेवार भी नीतीश सरकार ही है. जितने पुल और तटबंध टूटे हैं उसके लिए नीतीश सरकार ही ज़िम्मेदार है. जनता सब देख रही है इसका जवाब चुनाव में मिलेगा.
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