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मास्क के ऊपर भोजपुरी चित्रकला (Bhojpuri Painting) को उकेरने के लिए चटख रंगों का इस्तेमाल खूब किया जा रहा है. गहरा लाल, पीला, हरा और उजले रंग को इस्तेमाल में लिया जा रहा है.
आरा. बिहार की मिथिला या मधुबनी पेंटिंग (Mithila or Madhubani portray) पूरे विश्व में विख्यात है. मिथिलांचल क्षेत्र की मधुबनी चित्रकला ने देश-दुनिया में काफी नाम कमाया है. कोरोना (Corona) जैसी वैश्विक महामारी के बीच अब भोजपुरी पेंटिंग या भोजपुरी चित्रशैली (Bhojpuri Painting) को एक नई पहचान मिल रही है. बिहार के आरा में इन दिनों मास्क पर भोजपुर की संस्कृति और इसके पारंपरिक इतिहास को उकेरा जा रहा है. कोरोना काल की तबाही के बीच आरा के रहने वाले लोग अपनी संक्रमण के काल में संस्कृति को नई पहचान देने में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. लॉकडाउन (Lockdown) में मास्क निर्माण के कारण बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. इसके साथ ही पहचान खो रही अपनी संस्कृति और धरोहर को लेकर आमजनों को जागरूक भी किया जा रहा है.
मास्क के ऊपर भोजपुरी चित्रकला को उकेरने के लिए चटख रंगों का इस्तेमाल खूब किया जा रहा है. गहरा लाल, पीला, हरा और उजले रंग को इस्तेमाल में लिया जा रहा है. जिससे मास्क के ऊपर काफी खूबसूरत तस्वीर बन रही है. चित्र बनाने के लिए अलग-अलग पेंट ब्रश का उपयोग किया जा रहा है. इसे बनाने में काफी मेहनत लग रही है. मिथिलांचल के लोगों के जैसा भोजपुरी संस्कृति को भी समृद्ध बनाने की पूरी कोशिश इस कोरोना काल के दौरान की जा रही है. कपड़े से बने दो या तीन लेयर वाले मास्क पर एप्लिक और पेंटिंग के माध्यम से चित्र बनाया जा रहा है. कोहबर और पीडिया के अलावा बाबू वीर कुंवर सिंह की पेंटिंग बनाई जा रही है. विख्यात आरा हाउस को भी उकेरा जा रहा है.
आम लोग भी इस मास्क को काफी पसंद कर रहे हैं. लोगों का काफी समर्थन मिल रहा है. इस अनोखे काम में सर्जना न्यास से जुड़े लोग काफी मेहनत कर रहे हैं. सर्जना न्यास के अध्यक्ष संजीव सिन्हा और अमृता दुबे के साथ उनकी पूरी टीम बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है. संजीव सिन्हा अपनी चित्रकारी और अमृता दुबे एप्लिक से मास्क को काफी आकर्षक और बेहतरीन बना रही हैं. इस मास्क की मांग भारत के साथ-साथ विदेशों में भी की जा रही है.न्यास के अध्यक्ष सजीव सिन्हा बताते हैं कि आरा में कोहबर और पीडिया दोनों शैली काफी प्रसिद्ध है. दरअसल कोहबर शादी में बनाया जाता है और पीडिया भाई-बहन के त्योहार के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर औरतें दीवारों के ऊपर खूबसूरत कलाकृतियों को सजाती हैं. इस काम के लिए रामराज, गोबर, मिट्टी और गेर का इस्तेमाल किया जाता है.
भोजपुरी चित्रशैली को नयी पहचान दिलाने में जुटे कलाकार.
भोजपुरी पेंटिंग से बने मास्क को ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया की भी मदद ली जा रही है. व्हाट्सएप और फेसबुक के माध्यम से इसका प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर मास्क के उपयोग के बारे में लोगों को बताया जा रहा है.
आरा शहर में मुखर्जी नगर के रहने संजीव सिन्हा बताते हैं कि मास्क की बिक्री देश-विदेश दोनों जगहों पर हो रही है. काफी लोग एडवांस आर्डर भी कर रहे हैं. मास्क की कीमत कम होने के कारण भी लोग ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं. 50 से लेकर 100 रुपये तक आसानी से यह मास्क लोगों के लिए उपलब्ध हो जा रहा है.रबड़ के अलावा डोरी वाला मास्क भी बनाया जा रहा है ताकि लोगों को सहूलियत हो सके.
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