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डॉक्टरों ने बिहार सरकार (Bihar Government) से मांग की है कि नियमित डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की तर्ज पर बीमा किया जाए ताकि डॉक्टर सुरक्षा को लेकर निश्चिन्त रहें.
डॉ विनय ने सरकार से मांग की है कि नियमित डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की तर्ज पर बीमा किया जाए ताकि डॉक्टर सुरक्षा को लेकर निश्चिन्त रहें. वहीं रेजिडेंट डॉक्टरों को आईएमए ने भी समर्थन दिया है, आईएमए के वरीय उपाध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने भी सरकार पर सौतेला व्यवहार का आरोप लगाते हुए कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर,जूनियर डॉक्टर, इंटर्न और असिस्टेंट प्रोफेसर पर सरकार का ध्यान ही नहीं है जबकि सभी दिन रात कोरोना में जान की बाजी लगाकर ड्यूटी कर रहे हैं और इस दौरान अबतक राज्य के कई डॉक्टरों की कोरोना से जान भी चली गई है.
आईएमए ने साफ कहा कि इंटर्न हों या जूनियर डॉक्टर हर किसी की जान है और कोविड से कोई भी संक्रमित हो सकता है फिर सरकार बिना बीमा किये कैसे ड्यूटी ले सकती है. बता दें कि राज्य स्थायी स्वास्थ्यकर्मियों और चिकित्सकों के लिए सरकार ने 50 लाख का कोविड बीमा का एलान किया था जिसके बाद रेजिडेंट और जूनियर डॉक्टरों में सरकार के प्रति न सिर्फ नाराजगी बढ़ी है बल्कि आंदोलन करने तक को तैयार हैं.
उधर बिहार में कल से कोरोना जांच ठप हो सकती है और सरकार की चुनौतियां बढ़ने वाली हैं. दरअसल बीएसससी के रवैये से नाराज राज्यभर के लैब टेक्निशियंस कल से हड़ताल पर जा रहे हैं. लैब टेक्निशियंस ने four दिनों पहले ही सरकार और बीएसससी को अल्टीमेटम दिया था कि सेवा स्थायी को लेकर हुई काउंसिलिंग की मेधा सूची जारी करें लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.गौरतलब है कि बीएसएससी ने वर्ष 2015 में ही सेवा स्थायी को लेकर विज्ञापन निकाला था, लेकिन 5 साल बाद भी मेधा सूची जारी नहीं हुई. गर्दनीबाग में लैब टेक्निशियंस पीपीई किट पहनकर प्रदर्शन करने पहुंचे हैं और चेतावनी दे रहे हैं.
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