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नेपाल से निकलकर आदापुर होते हुए आने वाली मरधर नदी (Mardhar River) को सिंचाई विभाग ने पसाह नदी (Pasah river) में मोड़ दिया है जिससे दोनों नदियों का पानी मिलकर एक साथ तबाही मचाती है.
चारों तरफ बर्बादी का मंजर
बर्वादी का ऐसा नजारा जिले के बंजरिया, छौड़ादानो, बनकटवा और आदापुर प्रखंड में दिख रहा है. पूर्वी चम्पारण के छौड़ादानो प्रखंड क्षेत्र से गुजरने वाली पसाह नदी इस साल दूसरी बार फिर विकराल रूप ले लिया है. पुरैनिया गांव के पास पानी का दबाव बांध बर्दाश्त नहीं कर पाया और तटबंध टूट गया. उसके बाद पसाह नहीं सबको अपने में समेटते हुंकार भर रही हैं. पुरैनिया पंचायत के पुरैनिया और महुअवा भवानीपुर समेत कई गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. वहीं भतनहिया और पुरैनिया पंचायत के लोग बाढ़ के पानी से बेहाल हैं. भतनहिया के दर्जनो घरों में पानी घुस आया है और कई घर नदी में समा गए हैं.
सिंचाई विभाग ने धारा मोड़ी तो आई तबाहीइस नदी में बाढ़ आने का मुख्य कारण है नेपाल से निकलकर आदापुर होते हुए आने वाली मरधर नदी को सिंचाई विभाग ने पसाह नदी में मोड़ दिया है जिसमे करोड़ो की राशि के खर्च के बावजूद अब दोनों नदियों का पानी एक साथ तबाही मचाती है. जिस कारण पूरा इलाका टापू में तब्दील हो जाता है. लोगों का जनजीवन संकट में है. पसाह नदी की चौड़ाई कम होने के कारण दोनों नदियों का पानी बांध के बीच में रह नहीं पाता है और तटबंध को तोड़कर तबाही मचा रही है.
दर्जनों गांवों में तबाही-बर्बादी का आलम
पानी पुरैनिया, महुअवा, भवानीपुर, भथनहिया, चिचरोहिया, बथुआहिया आदि गाव में घुस गया है. हजारों एकड़ धान के की फसल नष्ट हो गई है. इस बाढ़ से पांच पंचायतों के दर्जनों गांव पूर्णतः प्रभावित हैं. भतनहिया गांव की निवासी राजिया खातून बताती हैं कि एकाएक आयी बाढ़ से झोपडी के बने घर गिर गए और घर में रखे सभी खाने के समान डूब गये हैं. पुरैनिया पंचायत के महुआवा गांव निवासी अमन कुमार सिंह बताते हैं कि पूर्व में गांव में बाढ नही आती थी लेकिन पसहा नदी को मरदर नदी को नाला बना कर जोड देने से अब बाढ आने लगी है.
पांच साल में अधिक बिगड़े हालात
पूर्व में नाला पर बने पुल को बाढ़ ने ध्वस्त कर दिया है, जिसके बाद ग्रामीणों ने बांस चचरी का पुल बनाया है, जो इस बाढ़ में बह गया है. जिससे गांव में आवागमन के साधन खत्म हो गये हैं. ग्रामीण प्रभु कुमार बताते हैं कि जब से दोनों नदियों को जोड़ा गया है पिछले पांच साल में गांव में बाढ़ की समस्या शुरू हुई है. प्रभु कुमार बताते हैं कि इसकी सुधि न तो सरकार के अधिकारी ले रहे हैं और न ही जनप्रतिनिधि.
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