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यहां झोपड़ियों को कौन कहे पक्के के मकान पूरी तरह पानी में डूब गए हैं. घर के हर हिस्से में पानी भर गया है. घर के अन्दर और बाहर नदी की समानांतर धारा बह रही है. मांझागढ़ प्रखंड के गौसिया पंचायत का वार्ड नंबर 14 और 17 पूरी तरह बाढ़ की त्रासदी से जूझ रहा है. यहां घरों में इस कदर पानी भर गया है की घर के ग्राउंड फ्लोर पर पानी ही पानी है. खाने के सामान को लोग चौकी और पलंग पर बर्तन और कपड़े के साथ खाने के अनाज को रखे हुए है. यहां सबसे ज्यादा परेशानी घर की महिलाओं और बच्चों को है जो लोकलाज की वजह से घर के बाहर नहीं निकल सकती.
बच्चे दिनरात नंगे बदन पानी में ही रह रहे हैं. एक बुजुर्ग महिला अपने डेढ़ महीने के नवजात पोते को लेकर छोटे से चौकी पर अपना दिनरात गुजार रही है. उसकी बहू जिसने बच्चे को जन्म दिया है वो एक चौकी पर अंधेरे कमरे में बैठी है. बुजुर्ग महिला जिस चौकी पर बैठी है उसी पर खाना बनता है और उसी चौकी पर बर्तन और अनाज भी रखे हुए है. गौसिया पंचायत के वार्ड नम्बर 13 की 60 वर्षीय बुजुर्ग महिला चंदा देवी के मुताबिक वो लोग पिछले चार से ज्यादा दिनों से बाढ़ से घिरे हुए हैं लेकिन यहां कोई सरकारी सुविधा नहीं मिली है. वो इसी चौकी पर खाना बनाती हैं और इसी पर छोटे-छोटे eight बच्चों के साथ रातभर जागकर समय काट रही हैं.
बिहार के गोपालगंज में बाढ़ के पानी में फंसे बच्चे
यह कहानी सिर्फ चंदा देवी का नहीं है बल्कि इस पंचायत के कई वार्ड का यही हाल है. जहां हर तरफ पानी-पानी है और लोगों के सामने घर छोड़कर तटबंध पर जाने और नहीं जाने की कशमकश बनी हुई है. जिला प्रशासन द्वारा लोगों को राहत पहुंचाने की कवायद भी शुरू कर दी गयी है लेकिन बड़ी आबादी के रूप में फंसे बाढ़ प्रभावित लोगों तक अभी राहत नहीं पहुंच पाई है.
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