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एसएसपी (SSP) राजीव मिश्रा ने कहा कि अखिलेश भुईंया 2011 से नक्सली संगठन (Naxali) में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा था. संगठन की बदलती नीति से निराश अखिलेश ने संगठन छड़ने का निर्णय किया है.
एक दर्जन से ज्यादा मामला दर्ज
नक्सल प्रभावित सलैया थाना के निमिया रेहला टोला निवासी अखिलेश भुइंया 2011 में जमीनी विवाद को सुलझाने को लेकर तत्कालीन माओवादी कमांडर राकेश भुईंया के संपर्क में आया था और फिर आगे चलकर उसने नक्सली संगठन को ज्वाइन किया. शुरुआती दौर में वह अपने कमांडर के साथ भ्रमणशील रहा और फिर गया के साथ ही औरंगाबाद जिला के विभिन्न थाना क्षेत्र में पुलिस मुठभेड़ के साथ ही कई घटनाओं को अंजाम दिया. उसके खिलाफ गया जिला के आमस,लुटुआ,बाकेंबाजार समेत अन्य थाना में कई मामले दर्ज हैं. वहीं औरंगाबाद जिला के मदनपुर एवं देव में भी केस दर्ज हैं.
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पुलिस के समक्ष आत्म समर्पण करने वाले अखिलेश भुईंयां ने कहा कि जब वो जमीन विवाद की वजह से मआओवादी कमांडर से मिला था तो उसने गरीबों के हक और दमन के खिलाफ हथियार उठाने का बात कही थी लेकिन झांसे में आकर उसे नक्सली संगठन ज्वाइन कर लिया था. पर बाद में उसे वहां निराशा हाथ लगी क्योंकि नक्सली संगठन के नेता आपराधिक गिरोह की तरह ही हत्या और फिरौती के लिए काम कर रहे थे. बड़े लीडर हर तरह की सुविधा लेते थे और नीचे के लोगों का शोषण करते थे. दस्ते में शामिल महिलाओं का योन शोषण भी किया जाता है. वो काफी दिनों से संगठन से बाहर निकलने की बात सोच रहा था और उनके कमांडर ऐसा नहीं करने देतें थे. उसने किसी तरह वहां से भागकर मुख्यधारा में आने की कोशिश की है. अब वे सरकार की योजना का लाभ उठाते हुए मुख्य धारा में शामिल होकर आम आदमी की तरह जीवन जीना चाहता है.
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नक्सलियों को मुख्य धारा में जोड़ने की पहल
गया समेत पूरा मगध प्रमंडल नक्सल का खास इलाका लाल भूमि के नाम से प्रसिद्ध है. यही वजह है कि इस इलाके में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए सीआरपीएफ,कोबरा,एसएसबी और एसटीएफ की तैनाती की गई है. फोर्स की लगातार कार्रवाई से नक्सली संगठन कमजोर हो रहा है.
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