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नसीमुद्दीन (Nasimuddin) कभी बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) के सबसे खास सिपहसालार में थे. उन्होंने 1988 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की.
हाईकोर्ट ने दिया था आदेश
आपको बता दें कि हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी विधान परिषद के चेयरमैन को बसपा छोड़कर कांग्रेस में आए नसीमुद्दीन सिद्दीकी की विधान परिषद से सदस्यता समाप्त किये जाने की बसपा की अर्जी पर 15 दिन के भीतर फैसला लेने का आदेश दिया था. याचिका में कहा गया कि नसीमुददीन बसपा के टिकट पर 23 जनवरी 2015 को विधान परिषद सदस्य बने थे. उन्होने 22 फरवरी 2018 को बसपा छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली, जिसके बाद नेता बीएसपी विधान परिषद यूपी ने उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए विधान परिषद के चेयरमैन के समक्ष याचिका दी.
बसपा सुप्रमो मायावती के थे बेहद करीबीनसीमुद्दीन कभी बसपा सुप्रीमो मायावती के सबसे खास सिपहसालार में थे. उन्होंने 1988 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. उन्होंने बांदा नगर निगम के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. इसके बाद उसी साल वो बसपा में शामिल हो गए. 1991 में उन्होंने बसपा के टिकट पर विधायकी का चुनाव लड़ा और उन्हें सफलता हाथ लगी. 1991 में नसीमुद्दीन बसपा के पहले मुस्लिम विधायक बने. हालांकि दो साल बाद 1993 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
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लेकिन, जब 1995 में मायावती ने पहली बार मुख्यमंत्री का पद संभाला तो नसीमुद्दीन को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. इसके बाद 1997 में भी मायावती के छोटे से कार्यकाल में वो मंत्री रहे. 2002 में भी एक साल के लिए वो कैबिनेट का हिस्सा रहे और फिर 2007 से 2012 में भी उन्होंने मंत्री पद संभाला था. उन्होंने 22 फरवरी 2018 को बसपा छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली.
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