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आपको बता दें, मेरठ को उस समय ‘मयराष्ट्र’ के नाम से जाना जाता था. मंदोदरी का विवाह (Marriage) रावण से होने के बाद से ही मेरठ रावण का ससुराल कहलाया जाता है.
मेरठ शहर को ‘रावण का ससुराल’ के रूप में भी जाना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है “रावण की पत्नी का घर”. माना जाता है यहां के मंदिर में पूजा करने के लिए रावण की पत्नी मंदोदरी आती थीं. मंदोदरी मय दानव की पुत्री थी. मंदोदरी की भक्ति भगवान शिव से जुड़ी हुई थी. जिनकी पूजा अर्चना करने के लिए मंदोदरी ‘बाबा श्री बिल्लेश्वर नाथ महादेव मंदिर‘ में आया करती थी. माना जाता है उनकी भक्ति से खुश होकर भगवान शिव ने दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा. आपको बता दें, मेरठ को उस समय ‘मयराष्ट्र’ के नाम से जाना जाता था. मंदोदरी का विवाह रावण से होने के बाद से ही मेरठ रावण का ससुराल कहलाया जाता है.
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मान्यता है कि गगोल तीर्थ पर ही श्रीराम के चरण पड़े थे. तभी दानवों का संहार हुआ था और मेरठ को उस श्राप से भी मुक्ति मिली थी. जब यहां आने पर ये कहा जाता था कि व्यक्ति की बुद्धि पलट जाती है. इसी गगोल तीर्थ पर आजकल 5 अगस्त की जोरदार तैयारियां चल रही हैं. पांच अगस्त को यहां दीपावली के पहले एक और दीपावली मनाई जाएगी.योगी सरकार ने अयोध्या के आधारभूत ढांचे, स्वरूप व विकास की तस्वीर बदलने की कार्ययोजना बनाई है. इसमें करीब 487 करोड़ रुपये की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों होगा. पीएम नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को राम मंदिर भूमिपूजन के ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बनेंगे.
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