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राजेंद्र सिंह के पिता गोपाल सिंह विशारद (Gopal Singh Visharad) ने 1950 में न्यायालय में हिंदू पक्ष की ओर से पहली याचिका दायर की थी.
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में गोपाल सिंह विशारद को पूजा का अधिकार दिया. हालांकि, गोपाल सिंह विशारद कि 1986 में ही मृत्यु हो गई थी. उनकी मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र राजेन्द्र सिंह इस मुकदमे की पैरवी कर रहे थे. 86 वर्षीय राजेंद्र सिंह बैंक के अवकाश प्राप्त प्रबंधक हैं और बलरामपुर में निवास करते हैं. 5 अगस्त को राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से राजेंद्र सिंह को भूमि पूजन कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है. सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों में हिंदू पक्ष के संयोजक त्रिलोकी नाथ पांडे ने राजेंद्र सिंह से four अगस्त तक आयोध्या पहुंच जाने का आग्रह किया है.
राजेंद्र सिंह ने कहा कि यह पल मेरे लिए अविस्मरणीय है
वहीं, आमंत्रण मिलने के बाद राजेंद्र सिंह ने कहा कि यह पल मेरे लिए अविस्मरणीय है. राजेंद्र सिंह ने कहा कि इस मुकदमे की पैरवी करते हुए कभी-कभी एहसास होता था कि पता नहीं उनके जीवनकाल में ही फैसला आ पाएगा या नहीं. उन्होंने कहा कि फैसला आया और आज मंदिर निर्माण की शुभ घड़ी भी आ गई है जो मेरे लिए अगाध प्रसन्नता का विषय है. राजेंद्र सिंह ने कहा कि 500 वर्षों से मंदिर निर्माण को लेकर संघर्ष चलता रहा है. उन्होंने कहा कि देश में हिंदू विचारधारा और राष्ट्रीय भावना वाली सरकार न होती तो अगले 500 वर्षों तक प्रभु श्री राम का मंदिर बन पाना मुश्किल होता. राजेंद्र सिंह ने कहा कि उनकी अंतिम इच्छा यही है कि वे भव्य राम मंदिर में प्रभु श्रीराम के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य कर सके.
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