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23 अक्टूबर को समस्तीपुर में होनी थी सभा
वर्ष 1990 में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी के द्वारा श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के संकल्प को लेकर गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक के लिए रथ यात्रा 25 सितंबर 1990 को शुरू की गई थी. इस रथ यात्रा को 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचना था लालकृष्ण आडवाणी वह कार सेवा में शामिल होने वाले थे. देश के अलग-अलग भागों से होते हुए यह रथ यात्रा बिहार में गया से शुरू हुई जो बिहार के अलग-अलग जिले से होते हुए 22 अक्टूबर 1990 की देर शाम समस्तीपुर पहुंची. 23 अक्टूबर 1990 को समस्तीपुर के ऐतिहासिक पटेल मैदान में लालकृष्ण आडवाणी के द्वारा एक विशाल जनसभा को संबोधित किया जाना था. इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी, आरएसएस, विद्यार्थी परिषद सहित संघ के तमाम अनुसांगिक संगठनों के द्वारा जबर्दस्त तैयारी की गयी थी. यह रथ यात्रा जब हाजीपुर के बाद समस्तीपुर के सीमा में कोठिया के पास पहुंची वहीं से जय श्रीराम के नारों के साथ लगातार कार्यकर्ताओं का हुजूम स्वागत कर रहा था. हर चौक-चौराहे पर लोगों पुष्प वर्षा और रथ की आरती उतरते थे.
जिला में प्रवेश करते ही थी गिरफ्तारी की प्लानिंग22 अक्टूबर 1990 को देर शाम समस्तीपुर के सर्किट हाउस रथ पहुंचा और रात्रि विश्राम यहीं करना था जिसके बाद फिर अगले सुबह पटेल मैदान में जनसभा को सम्बोधित करते हुए यात्रा आगे बढ़ती. लालकृष्ण आडवाणी सर्किट हाउस के कमरा नम्बर सात में रुके थे. उनके साथ डॉ कैलाशपति मिश्रा भी सर्किट हाउस में ही दूसरे कमरे में रूके थे. इस दौरान पूरा समातीपुर शहर हाई अलर्ट पर था. चप्पे-चप्पे पर पुलिस बलों की तैनाती की गयी थी. लालकृष्ण आडवाणी जब विश्राम करने चले गए तो सभी प्रमुख कार्यकर्त्ता भी वहां से कार्यक्रम की तैयारी में चले गए. श्री राम जन्मभूमि आन्दोलन से जुड़े समस्तीपुर भाजपा के वरिष्ठ नेता भग्य नारायण राय उस ऐतेहासिक दिन को याद करते हुए बताते हैं कि लालकृष्ण आडवाणी के रथ यात्रा के पहुचने पर जनसैलाब उमड़ पड़ा था. जगह-जगह सड़क के दोनों किनारे लोग स्वागत में खड़े थे. वो बताते हैं कि जब रथ यात्रा समस्तीपुर के कोठिया में प्रवेश किया था तो उसी वक्त गिरफ्तारी करने की योजना थी लेकिन जन सैलाब को देखते हुए वहां गिरफ्तारी नहीं हो पाई.
रात्रि 11 बजे वो सर्किट हाउस पहुंचे. 23 अक्टूबर की सुबह सभा होने वाली थी. अहले सुबह पटेल मैदान में हेलिकाप्टर पहुंचा जिसके बाद लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी सर्किट हाउस पहुंच कर की गई. जिसके बाद वहां मौजूद कार्यकर्त्ताओं के द्वारा आडवाणी जी को गिरफ्तार कर जिस गाड़ी से ले जाया जा रहा था उसके सामने आकर रोकने का प्रयास भी किया गया लेकिन पुलिस ने लाठी चार्ज कर सभी को हटा दिया गया. भाग्य नारायण राय बताते हैं कि जैसे ही खबर फैली पूरा बाजार से लेकर रेलवे तक को बंद करा दिया गया लेकिन उस समय भजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ कैलाशपति मिश्र के समझाने के बाद सब कुछ सामान्य हुआ.
लालू ने इन अधिकारियों को दिया था टास्क
बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस मुख्यालय मैं तैनात तत्कालीन डीआईजी रामेश्वर उरांव, आईएसएस अधिकारी आरके सिंह को भेजा था जो सर्किट हाउस के कमरा नम्बर 7 में पहुंचे और आडवाणी को गिरफ्तारी की जानकारी दी. समस्तीपुर के सर्किट हाउस के कमरा नम्बर 07 से आडवाणी जी की गिफ्तारी होने की खबर जंगल मे आग की तरह फैल गयी. लालकृष्ण आडवाणी के रथ यात्रा को कवर करने के लिए देश-विदेश के कई बड़े पत्रकार भी पहुंचे थे. सभी आडवाणी की जनसभा को कवर करने की तैयारी कर रहे थे उसी बीच गिरफ्तारी की खबर ने सबकी राह सर्किट हाउस के तरफ मोड़ दी. जब तक कोई पत्रकार मौके पर पहुंचते तबतक आडवाणी को लेकर लालू प्रसाद यादव द्वारा भेजी गई टीम गिरफ्तार कर पटेल मैदान पहुंचने वाली थी.
बिहार के समस्तीपुर में आडवाणी की गिरफ्तारी के दौरान मौजूद कार्यकर्ता और पत्रकार
गिरफ्तारी होते ही आक्रोशित हो गए थे समर्थक
उस समय के हालात पर समस्तीपुर के फोटो जर्नलिस्ट गिरीन्द्र मोहन बताते हैं कि वो अपनी स्कूटर से पटेल मैदान के पास पहुंच रहे थे तो देखा कि एक काले रंग के एम्बेसडर कार में आडवाणी को ले जाया जा रहा था. चारो तरफ जय श्रीराम और, आडवाणी जी की जय के नारे लग रहे थे. पुलिस किसी को आगे नहीं जाने दे रही थी. किसी तरह वह सर्किट हाउस के पास पहुंचे जिसके बाद उन्होंने सर्किट हाउस के भीतर जाने की कोशिश की लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया. फिर वो सर्किट हाउस के दूसरे छोर पर जाकर अपने कैमरे में तस्वीर कैद करने लगे लेकिन पुलिसकर्मियों द्वारा रोक दिया गया और कैमरा छीनने का प्रयास किया गया. उनके द्वारा रथ की एक मात्र तस्वीर कैमरे में कैद की गई जो आज भी संभाल कर रखे हुए हैं.
रोने लगा था रथ को चलाने वाला मुस्लिम ड्राइवर
वो बताते हैं कि आडवाणी जी के रथ का चालक मोहम्मद सलीम फफक-फफक कर रोते हुए सर्किट हाउस कैंपस के अंदर में इधर-उधर घूम रहा था. उसे कुछ समझ मे नहीं आ रहा था कि आखिर हो क्या गया. चारो तरफ भय और भाव के वातावरण थे. उन्होंने कहा कि समस्तीपुर सर्किट हाउस के सात नंबर कमरे से हुई आडवाणी की गिरफ्तारी ने भारत की राजनीति की दशा और दिशा दोनों को बदल दिया था.
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