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गाजियाबाद (Ghaziabad) के एसएसपी कलानिधि नैथानी (SSP Kalanidhi Naithani) कहते हैं, ‘हिस्ट्रीशीट (History-Sheeter)अपराधी की मृत्यु पर ही खत्म की जाती है. मतलब एक बार हिस्ट्रीशीटर बन गए तो ताउम्र निगरानी होती है. यह मात्र एक अभिलेख ही नहीं, सामाजिक कलंक भी है.’
अपराधियों के पुराने रिकॉर्ड्स को खंगाले जा रहे हैं
कानपुर जैसी घटना किसी दूसरे जिले में न हो इसके लिए यूपी पुलिस पूरे प्रदेश में अपराधियों पर कई तरह से नकेल कस रही है. गाजियाबाद में भी 300 से ज्यादा अपराधियों की हिस्ट्रीशीट खोलने की तैयारी चल रही है. इसी तरह पूरे प्रदेश में लगभग 20 हजार हिस्ट्रीशीटर का रिकॉर्ड्स यूपी पुलिस खंगाल रही है. यूपी पुलिस का मकसद है कि अपराधियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बना कर उसको समाज से अलग-थलग कर दिया जाए. समाज उसके अपराधों को किसी तरह से सपोर्ट न करे.
यूपी पुलिस पूरे प्रदेश में अपराधियों पर कई तरह से नकेल कसने लगी है.
गाजियाबाद के एसएसपी कलानिधि नैथानी कहते हैं, ‘हिस्ट्रीशीट अपराधी की मृत्यु पर ही खत्म की जाती है. मतलब एक बार हिस्ट्रीशीटर बन गए तो ताउम्र निगरानी होती है. यह मात्र एक अभिलेख ही नहीं, सामाजिक कलंक भी है. हिस्ट्रीशीटर कहलाए जाने से बचने के लिए अपराधमुक्त साधारण जीवन व्यतीत करना एकमात्र विकल्प है.’
हिस्ट्रीशीटर का मतलब क्या होता है?
बता दें कि हिस्ट्रीशीटर का मतलब होता है कि आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त व्यक्ति, जिसका पहले से भी कई आपराधिक रिकॉर्ड्स रहा हो. साथ ही वह शख्स लगातार अपराध करता रहा होता है. उसके अपराधों के रिकार्ड्स को एक जगह रखा जाता है. अमूमन किसी बड़े अपराधी का आपराधिक रिकॉर्ड्स जिले के एसपी और एसएसपी ऑफिस में मौजूद रहता है, जिसे हिस्ट्रीशीट कहते हैं.
विकास दुबे जैसे अपराधियों की तलाश कर रही है यूपी पुलिस.
जिले या राज्य में जब कोई बड़ी घटना घटती है तो अपराधियों के पुराने रिकॉर्ड्स को खंगाला जाता है. हर थाना अपराधियों के पुराने रिकॉर्ड्स को जिले के एसपी, एसएसपी को भेजती है. एसपी और एसएसपी अपने विवेक के आधार पर और पुराने रिकॉर्ड्स को देखते हुए उस अपराधी का पुराना रिकॉर्ड्स खोल देते हैं. इसके लिए थाने में अपराधियों के पुराने इतिहास का विवरण लिख कर कोर्ट में पेश किया जाता है. साथ ही पुराने मामलों में कोर्ट के निर्णय को भी संलग्न किया जाता है. एक तरह से कोर्ट को बताया जाता है कि इस अपराधी पर दोबारा से अनुसंधान करने की जरूरत है.
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किसी अपराधी का अगर हिस्ट्रीशीट बनती है तो इसका मतलब यह है कि जबतक वह अपराधी जिंदा है उसका नाम हिस्ट्रीशीट में रहेगा. किसी बड़ी घटना के बाद उस अपराधी का हिस्ट्रीशीट खोला जाता है. हिस्ट्रीशीट खुलने के बाद पुलिस उस शख्स पर नजर रखती है.
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