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इन दिग्गजों ने बीजेपी पहुंचाया सत्ता तक
वैसे तो राम मंदिर आंदोलन में योगदान देने वालों की लिस्ट काफी लंबी है. लेकिन इसमें कुछ नाम अशोक सिंघल (Ashok Singhal) , लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani), मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi), उमा भारती (Uma Bharti) आदि को सबसे आगे माना जाता है. यही आंदोलन था, जिसमें बीजेपी को फर्श से अर्श तक ला दिया. गठबंधन की सरकार बनाते हुए अब बीजेपी केंद्र में लगातार दो बार से अपने दम पर काबिज है.
श्रीराम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के चंपत राय कहते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि निर्माण शुभारंभ में अतिथियों को आमंत्रित करने में कई बातों का ध्यान रखा गया है. लालकृष्ण आडवाणी, डॉ मुरली मनोहर जोशी, श्री पारासरन जी, पूज्य शंकराचार्य वासुदेवानन्द जी व अन्य महानुभावों से व्यक्तिगत रूप से चर्चा करने के पश्चात ही आमंत्रण सूची बनाई गई है. ये लोग भले ही भूमि पूजन में सशरीर उपस्थित न हो सकें लेकिन उनका सपना आज साकार हो रहा है.ये हैं राम मंदिर आंदोलन के ध्वजवाहक
अशोक सिंघल
मंदिर निर्माण आंदोलन की शुरुआत करने वाले और इसके लिए जरूरी जन समर्थन जुटाने में सबसे बड़ा योगदान अशोक सिंघल का माना जाता है. उन्हें राम मंदिर आंदोलन का चीफ़ आर्किटेक्ट भी कहा जाता रहा. अशोक सिंघल विश्व हिंदू परिषद के सबसे लंबे से समय तक अध्यक्ष रहे. उन्होंने 2011 में स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया था. इसके four साल बाद 17 नवंबर 2015 को उनका निधन हो गया.
लालकृष्ण आडवाणी
भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने वाले नेताओं में लाल कृष्ण आडवाणी की राम मंदिर आंदोलन को राजनीतिक लड़ाई लड़ने वालों में अगुआ माना जाता है. उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा शुरू की थी. इस रथयात्रा को अपार जन समर्थन मिला. बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के निर्देश पर आडवाणी को समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद 1992 के बाबरी विध्वंस केस में भी आडवाणी आरोपी बनाए गए. मुकदमा अभी भी सीबीआई स्पेशल कोर्ट में चल रहा है.
मुरली मनोहर जोशी
बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी भी आरोपी हैं. बताया जाता है कि छह दिसंबर 1992 को घटना के समय वह विवादित परिसर में मौजूद थे. मुरली मनोहर जोशी इलाहाबाद, वाराणसी और कानपुर से सांसद रह चुके हैं. वर्तमान में वह बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में हैं.
कल्याण सिंह
राम मंदिर आंदोलन को लेकर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का नाम सबसे ज्यादा चर्चित रहा. 6 दिसंबर 1992 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह थे. इस केस में वो भी आरोपी हैं. कल्याण सिंह बीजेपी से अलग भी हुए लेकिन बाद में वह वापस आ गए. उत्तर प्रदेश में पहली बार बीजेपी को सत्ता तक पहुंचाने का श्रेय कल्याण सिंह को ही जाता है.
विनय कटियार
विनय कटियार उन लोगों में से एक हैं, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन को धार दी. आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए गठित बजरंग दल के पहजले अध्यक्ष विनय कटियार बनाए गए. 1992 तक विनय कटियार जाने-माने नेता बनकर उभरे, इसके बाद वह तीन बार सांसद रहे और बीजेपी संगठन में राष्ट्रीय महासचिव भी बने.
साध्वी ऋतंभरा
राम मंदिर आंदोलन के समय साध्वी ऋतंभरा हिंदुत्व की फायरब्रांड नेता के तौर पर पहचानी गईं. बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में वह भी आरोपी हैं. आंदोलन के दौरान उनके भाषणों के कैसेट घर-घर तक पहुंचाए गए.
उमा भारती
मंदिर आंदोलन उमा भारती भी बीजेपी की फायर ब्रांड नेता बनकर उभरीं. वह अटल सरकार और मोदी सरकार में मंत्री रहीं. बीच में उन्होंने भाजपा छोड़कर अपनी पार्टी बनाई लेकिन बाद में आखिरकार वापस बीजेपी में आ गईं. राम मंदिर भूमि पूजन में उमा भारती अयोध्या पहुंची हैं.
प्रवीण तोगड़िया
राम मंदिर आंदोलन के दौरान प्रवीण तोगड़िया अपनी फायर ब्रांड इमेज के कारण चर्चा में आए. अशोक सिंहल के बाद उन्हें विश्व हिंदू परिषद की कमान सौंपी गई. लेकिन बाद में उन्होंने खुद को विहिप से अलग कर लिया और अंतराष्ट्रीय हिंदू परिषद नाम का संगठन बनाया.
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