[ad_1]
थानेदार की फ़ेक फ़ेसबुक आईडी
उत्तराखण्ड के कुछ पुलिसकर्मियों ने अपने फ़ेसबुक अकाउंट पर बताया कि उनकी फेक आईडी बनाई गई हैं और उससे उनके जानकारों से पैसे की मांग की जा रही है. देहरादून के रायपुर थाना इंचार्ज अमरजीत रावत ने अपने फ़ेसबुक अकाउंट में बताया कि उनके नाम पर फ़र्ज़ी अकाउंट बनाया गया है. हैकर ने सोशल मीडिया से उनकी तस्वीरें भी निकालकर इस अकाउंट में डाल दीं.
अमरजीत रावत के फ़ेक फ़ेसबुक अकाउंट से उनके परिचितों को फ़ेसबुक मैसेंजर के ज़रिए मैसेज भेजे गए और उनसे पैसे की मांग की गई. समय रहते रावत को इस बारे में पता चल गया और उन्होंने अपने असली फ़ेसबुक अकाउंट से अपने परिचितों को चेतावनी दे दी.कई ज़िलों में फैला जाल
इसके अलावा और भी कई पुलिसकर्मियों, अधिकारियों के फ़ेसबुक अकाउंट हैक किए गए और उनके परिचितों से पैसे की मांग की गई. ऐसा सिर्फ़ देहरादून में नहीं हुआ बल्कि कई और ज़िलों के पुलिसकर्मी हैकर्स के निशाने पर आए. ऊधम सिंह नगर, नैनीताल, हरिद्वार के साथ चमोली जिले के पुलिसकर्मियों की फेसबुक आईडी की क्लोनिंग कर ऐसे ही लोगों से पैसे मांगे गए.
उत्तराखंड पुलिस के डीजी (कानून-व्यवस्था) अशोक कुमार ने न्यूज़ 18 को बताया कि कई पुलिसकर्मियों ने इस बारे में शिकायत की है. पुलिस इन मामलों की जांच कर रही है और जल्द ही हैकर्स तक पहुंचा जाएगा. डीजी (कानून-व्यवस्था) ने यह भी कहा कि सभी पुलिसकर्मियों को निर्देश दे दिए गए हैं कि अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स की सिक्योरिटी टाइट करें और अतिरिक्त सावधानी बरतें.
साइबर सेल पर भरोसा नहीं!
इस पूरे मामले में गौर करने वाली बात यह रही कि किसी भी पुलिसकर्मी ने इस मामले की आधिकारिक शिकायत दर्ज नहीं करवाई यानी एफ़आईआर नहीं की. ऐसे मामलों की जांच साइबर सेल करती है और उसी के पास ये शिकायतें की जानी थीं. लेकिन एक भी एफ़आईआर नहीं हुई.
दरअसल उत्तराखंड पुलिस अब तक साइबर क्राइम के मामलों में फिसड्डी ही साबित हुई है. आए दिन साइबर क्रिमिनल भोली-भाले लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं और उनकी खून पसीने की कमाई उड़ाकर रफ़ूचक्कर हो रहे हैं. लेकिन साइबर सेल में शिकायत करने पर पीड़ित को ही सवालों का सामना करना पड़ता है.
ठगे गए कई लोगों ने कहा है कि साइबर सेल में उन्हें, ‘अब कहां मिलेंगे पैसे’, ‘देखकर डालते न’, जैसी बातें ही सुनने को मिलती हैं. पीड़ित भी दो-चार दिन चक्कर मारते हैं और निराश होकर बैठ जाते हैं. क्या अपने ही विभाग के इस सच को अच्छी तरह जानने की वजह से ही इस बार साइबर क्रिमिनल्स का शिकार हुए पुलिसकर्मी शिकायत दर्ज करवाने आगे नहीं आ रहे हैं? क्या साइबर सेल पुलिस विभाग में सेंधमारी के इस मामले में कुछ ठोस निकाल पाएगा या फिर खाली हाथ ही रहेगा?
[ad_2]
Source