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सबसे पहले तो बात ये है कि इस केस में महाराष्ट्र (Mumbai Police) और बिहार की पुलिस जांच कर रही है. बिहार सरकार की तरफ से कहा जा चुका है कि उसे सीबीआई जांच करवाने से कोई गुरेज़ नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Govt) सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर रही है और लगातार कह रही है कि सीबीआई जांच के नाम पर राजनीति हो रही है. दूसरी तरफ, सीबीआई जांच की मांग संबंधी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि इसकी ज़रूरत नहीं है.
केंद्रीय मंत्री आरके सिंह, भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी जैसी हस्तियों के साथ ही कुछ लोगों ने सुशांत की मौत को योजनाबद्ध ढंग से की गई हत्या का मामला बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की है. साथ ही, कहा जा रहा है कि पुलिस इस जांच को गलत दिशा में ले जाकर सच पर परदा डालने की कोशिश कर रही है. वहीं, खबरों की मानें तो सुशांत की बहन भी इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर चुकी हैं. अब जानने की बात ये है कि किस तरह इस मामले में जांच सीबीआई के पास जा सकती है.
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क्या पुलिस से जांच टेकओवर कर सकती है सीबीआई?
हां. इसके लिए कुछ तरीके या औपचारिक प्रक्रियाएं होती हैं. किसी केस में सीबीआई जांच के लिए संबंधित राज्य सरकार को एक आवेदन जारी करना होता है, जिस पर केंद्र सरकार मंज़ूरी देती है. मंज़ूरी से पहले आम तौर पर केंद्र सरकार उस मामले में सीबीआई का रुख जानती है. दूसरे, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट किसी केस में सीबीआई जांच के लिए आदेश दे सकते हैं.
सीबीआई जांच के प्रतिवेदन के लिए राज्य सरकार DSPE एक्ट के सेक्शन 6 के तहत और केंद्र सरकार DSPE एक्ट के सेक्शन 5 के तहत अपनी अपनी रज़ामंदी देते हैं.
इस नियम या कायदे के अनुसार सीबीआई सुशांत केस की जांच अपने हाथ में ले सकती है, बशर्ते जांच करने वाले संबंधित राज्य इस तरह की जांच चाह रहे हों. चूंकि इस केस में दो राज्यों की पुलिस जांच कर रही है इसलिए दोनों की मंज़ूरी की ज़रूरत होगी. इसके बाद केंद्र सरकार का अनुमोदन भी ज़रूरी होगा.
दूसरी तरफ, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि याचिकाकर्ता बॉम्बे हाई कोर्ट में दरख़्वास्त कर मांग कर सकते हैं कि इस केस में सीबीआई जांच हो. अब अगर हाई कोर्ट आदेश देता है तो सुशांत केस की जांच सीबीआई के सुपुर्द की जा सकेगी.
क्या सीबीआई खुद अपने हाथ में ले सकती है जांच?
नहीं. सुओ मोटो यानी स्वप्रेरणा या आत्मसंज्ञान से किसी केस की जांच अपने हाथ में लेने का अधिकार सामान्यतया सीबीआई के पास नहीं है, जिस तरह कोर्ट किसी मामले में बगैर याचिका या शिकायत के अपने आप किसी कार्यवाही को चलाने का अधिकार रखता है. DSPE एक्ट के तहत सीबीआई किसी केस की जांच के लिए suo-moto अधिकार का उपयोग सिर्फ केंद्रशासित प्रदेशों में कर सकती है.
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न्यूज़18 इलस्ट्रेशन
DSPE एक्ट के सेक्शन 6 के तहत देश के अन्य राज्यों में राज्य सरकार के आवेदन के बाद केंद्र की रज़ामंदी से ही सीबीआई अपने हाथ में जांच ले सकती है या फिर सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही. यानी सुशांत मामले में सीबीआई अपने आप जांच अपने हाथ में नहीं ले सकती.
कैसे केसों में जांच करती है सीबीआई?
देश की अग्रणी जांच एजेंसी के तौर पर उभरी सीबीआई के मुख्यत: तीन तरह के केसों में जांच करती है : (i) भ्रष्टाचार संबंधी मामलों में, (ii) वित्तीय घोटालों या बड़े आर्थिक धोखाधड़ी या साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में और (iii) आईपीसी और अन्य कानूनों के तहत दंडनीय गंभीर, सनसनीखेज़ और संगठित अपराधों के मामलों में. सीबीआई जिन आपराधिक मामलों में जांच कर सकती है, DSPE एक्ट के सेक्शन three के अंतर्गत केंद्र सरकार ने उन्हें नोटिफाई किया है.
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