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इन स्वयं सहायता समूहों द्वारा बडे़ स्तर पर मास्क, पीपीई किट, स्कूल ड्रेस और भोजन के पैकेट जैसी अति आवश्यक चीजों को बनाकर कोरोना संकट से निपटने के लिये राज्य सरकार की भी एक बड़े स्तर पर मदद की जा रही है. इन स्वयं सहायता समूहो की उपलब्धियों और चुनौतियो से जुडी ज्यादा जानकारी के लिए हमारे वरिष्ठ संवाददाता राजीव प्रताप सिंह द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के मिशन निदेशक IAS सुजीत कुमार से खास बातचीत की गई.
सवाल- महिला स्व-सहायता समूहों का राज्य में COVID-19 संकट के दौरान क्या योगदान रहा है?
जवाब- कोविड-19 संकट के दौरान स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने 75 जनपदों में 1 करोड़ मास्क, 14 हजार लीटर सैनिटाइजर और 46 हजार पीपीई किट का निर्माण कर प्रदेश में जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया गया है. इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग, पंचायतीराज विभाग, विकास भवन तथा अन्य विभाग के स्टाफ को भी इनके द्वारा बनाए गए मास्क उपलब्ध कराए गए है. साथ ही स्वयं सहायता समूह की सदस्यों द्वारा 793 कम्युनिटी किचन के माध्यम से 32 हजार पैकेट भोजन और 38 हजार फ़ूड पैकेट्स खाद्यान गरीब एवं वंचित लोगों को भी उपलब्ध कराया गया है.सवाल- महिला स्व-सहायता समूहों के सामने क्या-क्या चुनौतियां हैं? उनसे कैसे निपटा जा रहा है?
जवाब- महिला स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को ग्रामीण परिवेश होने के कारण वित्तीय आवश्यकता तथा वस्तुओं के निर्माण के लिए सबसे प्रमुख चुनौती प्रशिक्षण रहा है. मिशन द्वारा ग्रामीण स्तर पर जाकर वित्तीय सहायता तथा प्रशिक्षण उपलब्ध कराया गया है. स्वयं सहायता समूह को सीआईएफ धनराशि के रूप में 218 करोड़ की वित्तीय सहायता भी दी गई है. इन स्वयं सहायता समूहों की अन्य चुनौतियों से भी निपटने के लिए हर संभव मदद की जा रही है.
सवाल- स्वयं सहायता समूहों के संचालन और सफलता का क्या पैमाना है?
जवाब- स्वयं सहायता समूह के संचालन का पैमाना पंच सूत्रों अर्थात साप्ताहिक बैठक, साप्ताहिक बचत, नियमित लेनदेन, समय से ऋण वापसी तथा लेखा-जोखा पर आधारित है. NRLM के अंतर्गत इन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं रिफ्रेशर प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से भी प्रोत्साहित किया जाता है.
सवाल- सरकार अपने प्रयासों से स्वयं सहायता समूहों की कैसे मदद कर रही है?
जवाब- सरकार अपने प्रयासों से स्वयं सहायता समूह को विभिन्न विभागों के साथ कन्वर्जेंस के माध्यम से प्रशिक्षण दिलाती है. उदाहरण के तौर पर मनरेगा से अभिसरण के माध्यम से सीआईडी बोर्ड का निर्माण कराया गया तथा बेसिक शिक्षा विभाग से अभिसरण के माध्यम से एक करोड़ स्कूल ड्रेस का निर्माण कराया गया. इसके साथ ही वन विभाग से अभिसरण कर 76 लाख सहजन के पौधों को वन विभाग ने लिया. अभिसरण के माध्यम से मनरेगा के अंदर 12328 स्वयं सहायता समूह की सदस्यों को कुशलता एवं दक्षता के अनुरूप मेठ का काम दिया गया.
सवाल- ये स्वयं सहायता समूह महिलाओं और उनके समुदायों को कैसे सशक्त बना रहे हैं?
जवाब- स्वयं सहायता समूह की महिलाओं और उनके सदस्यों को विभिन्न विभागों से कन्वर्जेंस कर प्रशिक्षित किया जा रहा है. जिन महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, बुनाई तथा मूर्तिकला इत्यादि का कार्य आता है, उन्हें अत्याधुनिक प्रशिक्षण देकर उनके कौशल को और बढ़ाया जाता है. इस कार्य के लिये सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं से विधिवत प्रशिक्षण दिया जाता है. मनरेगा एवं कृषि से फार्म पोंड, डग वेल, कम्पोस्ट पिट, कैटल शेड, फार्म मशीनरी बैंक, पोल्ट्री, गाय एवं भैंस पालन जैसे कार्य भी स्वयं सहायता समूह के सदस्यों से करवाया जा रहा है.
सवाल- भविष्य में राज्य के स्वंय सहायता समूहो के जरिये विभिन्न समुदायों के कल्याण और विकास के लिए क्या योजना है?
जवाब- महिला स्वयं सहायता समूह सदस्यों एवं समुदायों के कल्याण और विकास के लि स्वयं सहायता समूह का ग्राम स्तर पर फेडरेशन बनाए जाने का कार्य भी किया जा रहा है. अभी तक प्रदेश में 16,000 विलेज स्तर की विलेज ऑर्गेनाइजेशन का गठन कार्य सामुदायिक इंटरनल सीआरपी राउंडस द्वारा कराया जा रहा है. इसके साथ ही इनके कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनियों तथा मेलों का आयोजन किया जाता है. झांसी में बलिनी कंपनी बनाई गई है, जिसके माध्यम से दुग्ध सप्लाई का कार्य किया जा रहा है, जिसमें महिलाओं को भारी सफलता मिली है.
सवाल- महिला स्वयं सहायता समूह वापस लौटे प्रवासी मजदूरों की इस कोरोना संकट से निपटने में कैसे मदद कर रहे हैं?
जवाब- प्रवासी मजदूरों एवं परिवार का स्किल मैपिंग कार्य किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत 4.5 लाख प्रवासी मजदूरों का स्किल एवं गैर स्किल का सर्वेक्षण किया गया. कुल 2.16 लाख स्किल्ड सदस्यों को उनके स्किल के अनुसार प्रशिक्षण देते हुए कार्य दिया गया. मिशन के अंतर्गत कुल 4825 महिला सदस्यों को ड्रेस सिलाई, पशुपालन विभाग द्वारा 14661 महिलाओं को आधुनिक पशुपालन तथा खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा 243 महिलाओं को अचार, मुरब्बा, जैम, जेली इत्यादि का प्रशिक्षण दिया गया.
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