[ad_1]
डील के अनुसार उप-आयुक्त सुधांशु गर्ग को आरटीओ देहरादून का पद मिलना था और बदले में आरोपी कुलबीर को देहरादून सिटी बसों का परमिट दिया जाना था.
यह थी डील
मौजूदा आरटीओ दिनेश चन्द पठोई ने कोतवाली में मुक़दमा दर्ज करवाया और मामले की गम्भीता को देखते हुए डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने जांच के लिए एक एसआइटी का गठन किया. इसके बाद केस के मुख्य आरोपी कुलबीर सिंह को गिरफ्तार किया गया था और उससे पूछताछ के बाद उसने माना कि फर्जी तबादला आदेश उसी ने बनाया था. एसआईटी की जांच में सुधांशु गर्ग ओर आरोपी की मिलीभगत सामने आई.
बता दें कि यह मामला एक डील से शुरू हुआ था जो आरोपी कुलबीर सिंह और उप-आयुक्त सुधांशु गर्ग के बीच हुई थी. इसमें उप-आयुक्त सुधांशु गर्ग को आरटीओ देहरादून का पद मिलना था और बदले में आरोपी कुलबीर को देहरादून सिटी बसों का परमिट दिया जाना था.
कुलबीर के नेताओं और अधिकारियों के साथ संबंध होने के चलते सुधांशु गर्ग भी कुलबीर के झांसे में आ गए और फर्जी ट्रांसफर ऑर्डर को सही समझ कर आरटीओ में अपनी पोस्टिंग लेने निकल पड़े. वहां पहुंचकर पता चला कि यह तो पूरा मामला ही फ़र्ज़ी है.
[ad_2]
Source