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पेरेंट्स का कहना है कि स्कूल की तरफ से ऑनलाइन क्लासेस के लिए सोशल मीडिया ग्रुप बना गया है, लेकिन अचानक इस ग्रुप से कई बच्चों को हटा दिया गया.
अभिभावकों का कहना है कि स्कूल की तरफ से ऑनलाइन क्लासेस (Online Class) के लिए सोशल मीडिया पर ग्रुप बना गया है. एकाएक इस ग्रुप से दर्जनों बच्चों को हटा दिया गया. इसके बाद परेशान अभिभावक स्कूल के प्रिंसिपल से मिलने पहुंचे, लेकिन वो टस से मस नहीं हुईं. प्रिंसिपल का कहना है कि जब तक फीस जमा नहीं की जाती वो बच्चों को एडमिशन नहीं दे सकती. पैरेन्टस का कहना है कि कोरोनाकाल में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में वो एक महीने की फीस तो किसी तरह इंतजाम करके दे सकते हैं, लेकिन एनुअल चार्जेज के नाम पर वो हजारों रुपये कहां से लाएंगे. वो स्कूल की इस तानाशाही से बेहद परेशान हैं.
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फीस के लिए दबाव बनाने का आरोपवहीं जिला विद्यालय निरीक्षक का कहना है कि बच्चे का नाम कोई भी स्कूल नहीं काट सकता. उन्होंने लिखित में इस बावत शिकायत मांगी है. जिला विद्यालय निरीक्षक गिरिजेश चौधरी का कहना है कि ऐसे स्कूलों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी. डीआईओएस का कहना है कि सक्षम माता-पिता जो स्कूल की फीस दे सकते हैं दें वो फीस जमा कर दें, लेकिन जो अभिभावक फीस नहीं दे सकते वो स्कूल को बता दें कि किन कारणों से वो फीस नहीं दे सकते हैं. फिर स्कूल प्रबंधन उन पर कोई दबाव नहीं बना सकता और न ही बच्चे का नाम कोई भी स्कूल फीस न जमा करने पर काट सकता है.
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