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योगी सरकार (Yogi Government) के एक्शन के बाद यूपी में सियासत शुरु हो गई. जहां एक तरफ विपक्ष यूपी पुलिस की कार्रवाई पर कई सवाल खड़े कर रही है. वहीं अपराधियों में एनकाउंटर का खौफ समा गया है.
बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा-सीएम योगी
लाल बताते हैं कि सराकर पर हमलवार होने की नीति आरोप और प्रत्यारोप में बदल जाएगी. उन्होंने बताया योगी सरकार अभी तक विकास दुबे के सपा-बसपा लिंक पर खुलकर नहीं बोल रही है. क्योकि वो आरोप और प्रत्यारोप के राजनीति में उलझना नहीं चाहती. सरकार की मंशा साफ थी, कानून को हाथ में लेने वाला किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा. इससे पहले सीएम योगी ने कहा था कि शहीद पुलिसकर्मियों ने जिस अपरिमित साहस और अद्भुत कर्तव्यनिष्ठा के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन किया है, उत्तर प्रदेश उसे कभी नहीं भूलेगा. उनका यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. जिसका असर आने वाले कुछ दिनों में प्रदेश की जनता महसूस करेगी.
कौन था विकास दुबेहिस्ट्रीशीटर विकास दुबे साल 2001 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी था. साल 2000 में कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कलेज के सहायक प्रबंधक सिद्घेश्वर पांडेय की हत्या में भी विकास दुबे का नाम आया था. कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र में ही साल 2000 में रामबाबू यादव की हत्या के मामले में विकास दुबे पर जेल के भीतर रहकर साजिश रचने का आरोप था.
साल 2004 में केबल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास आरोपी था. 2001 में कानपुर देहात के शिवली थाने के अंदर घुसकर इंस्पेक्टर रूम में बैठे तत्कालीन श्रम संविदा बोर्ड के चेयरमैन, राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त बीजेपी नेता संतोष शुक्ल को गोलियों से भून दिया था. कोई गवाह न मिलने के कारण केस से बरी हो गया था.
उज्जैन से गिरफ्तार हुआ था विकास दुबे
यूपी का मोस्ट वॉन्टेड अपराधी विकास दुबे को उज्जैन में गिरफ्तार किया गया था. मध्य प्रदेश पुलिस ने उसे यूपी पुलिस को सौंप दिया था. उसे सड़क मार्ग से यूपी एसटीएफ की टीम कानपुर ला रही थी. इससे पहले उज्जैन के महाकाल मंदिर में गुरुवार को एक व्यक्ति ने खुद को यूपी का मोस्ट वांटेड अपराधी विकास दुबे बताने लगा था. बताया जा रहा है कि महाकाल मंदिर परिसर में पहुंच कर यह शख्स चिल्ला-चिल्ला कर ख़ुद को विकास दुबे बता रहा था. उसे फौरन मंदिर परिसर में तैनात सुरक्षा गार्ड ने पकड़ लिया और पुलिस को इसकी सूचना दी थी.
सीओ समेत eight पुलिसकर्मी हुए थे शहीद
बता दें कि 2 जुलाई की रात विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर दबिश देने पहुंची पुलिस टीम पर हमला किया था. इस हमले में क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इस घटना के बाद विकास दुबे अपने गुर्गों के साथ फरार हो गया था. 9 जुलाई को ही उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर से विकास दुबे को पकड़ लिया गया. उसे कानपुर पुलिस और एसटीएफ की टीम कानपुर ला रही थी, तभी गाड़ी पलट गई और विकास दुबे हथियार छीनकर भागने लगा. पुलिस की जवाबी कार्रवाई में विकास दुबे भी मारा गया है.
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