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बुधवार के अपराह्न 3.30 बजे तक वाल्मीकिनगर बराज (Valmikinagar Barrage) में गंडक नदी के डिस्चार्ज में कमी जारी थी. बराज पर डिस्चार्ज 2 लाख 18 हजार क्यूसेक पहुंच चुका था.
खबर लिखे जाने तक वाल्मीकिनगर बराज में गंडक नदी के डिस्चार्ज में कमी जारी थी. बराज पर डिस्चार्ज 2 लाख 18 हज़ार क्यूसेक पहुंच चुका था. इसके साथ ही दो लाख क्यूसेक से गंडक नदी का जलस्तर कम हो गया था. वाल्मीकिनगर बराज पर डिस्चार्ज 1 लाख 97 हजार क्यूसेक था. यानी लगातार घटते जलस्तर के साथ ही बिहार के कई इलाकों से बाढ़ का खतरा कम होता दिख रहा है.
किशनगंज-सुपौल में घटा पानी
किशनगंज जिले में नदियों के जलस्तर में कमी आई है. हालांकि कई इलाकों में कटाव जारी है. टेढ़ागाछ और दिघलबैंक प्रखण्ड के लोग कटाव के कारण परेशान हैं और सरकारी मदद की आस लगाए बैठे हैं. वहीं, सुपौल में भी कोसी का जलस्तर अब धीरे-धीरे घटने लगा है, लेकिन कटाव एक बड़ी समस्या बनकर सामने उभरी है. कोसी तटबंध के भीतर बसे लाखों की आबादी कि खेती को इस बार कोसी ने पूरी तरह अपने मे समा लिया है. इसकी वजह से लोगों के खेतों में लगी मक्के और मूंग की फसल नष्ट हो गई है. धान की खेती भी इस बार पूरी तरह चौपट है. कोसी का जलस्तर घटने के बाबजूद तटबंध के भीतर लोगों के घरों में पानी आज भी लगा हुआ है. हालांकि लोग इसके बाद भी बाहर निकलने को तैयार नहीं हैं.सीतामढ़ी से भी राहत की खबर
सीतामढ़ी जिले में बागमती और अधवारा समूह की नदियों के जलस्तर में कमी हो रही है. इसके साथ ही बाढ़ के और बढ़ने की आशंका कम होती जा रही है. जिले के 6 प्रखंडों के कुल 38 पंचायत बाढ़ से प्रभावित हैं. प्रभावित इलाकों में four कम्युनिटी किचन का संचालन हो रहा है. हालांकि लखनदेई नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण शहर के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है, लेकिन नेपाल में बारिश रुक जाने से बाढ़ का खतरा टलता नजर आ रहा है. हालांकि बाढ़ के पानी में डूबने से जिले में अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है.
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