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Information18 बिहार ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) सुनील अरोड़ा से खास बातचीत की. इस दौरान CEC सुनील अरोड़ा ने कोरोनाकाल में बिहार चुनाव की तैयारियों, महामारी के दौरान चुनाव प्रक्रिया से जुड़े सभी दिशा-निर्देशों पर विस्तार से बात की. CEC ने कहा कि बिहार चुनाव के आयोजन के लिए चुनाव आयोग की तैयारी समय पर हो रही है. हालांकि, कोरोना महामारी के कारण इस बार वोटिंग और चुनावी रैली को लेकर कई बदलाव किए जाएंगे. चुनाव आयोग सुनिश्चित करेगा कि कोरोना से जुड़े SOPs का पालन बिहार चुनाव में हो.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि एक पोलिंग स्टेशन पर 1000 से अधिक मतदाता नहीं होंगे. अभी एक पोलिंग स्टेशन पर 1500 मतदाता होते हैं. कोरोना की वजह से बिहार में 33,797 अतिरिक्त पोलिंग स्टेशन की व्यवस्था की जाएगी. अतिरिक्त पोलिंग बूथ के लिए 1.eight लाख अधिक मतदानकर्मी की ज़रूरत पड़ेगी. उन्होंने बताया कि बिहार में ईवीएम की फर्स्ट लेवल चेकिंग जारी है, जो राजनीतिक दलों की उपस्थिति में हो रही है. इस बार 65 साल से अधिक और कोरोना पॉज़िटिव पोस्टल बैलट के जरिये मतदान कर सकेंगे.
ये भी पढ़ें:- सीएम नितीश कुमार के आवास में नहीं होगी डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति, निरस्त किया आदेशबिहार में कितने चरण में चुनाव हो सकते हैं, इस सवाल के जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा, ‘चुनाव का कार्यक्रम ज़रूरी लॉजिस्टिक, मौसम, स्कूल कैलेंडर, सुरक्षा और कोरोना को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा. इसकी घोषणा बाद में विस्तार से की जाएगी. चुनाव प्लानिंग प्रक्रिया के तहत बिहार विधानसभा चुनाव पर संबंधित एजेंसी और मंत्रालयों के साथ बैठकें जारी हैं.’
वर्चुअल रैली पर विपक्षी पार्टियों की तरफ से सवाल खड़ा करने पर चुनाव आयोग ने कहा, ‘चुनाव प्रचार पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग के पास आचार संहिता की व्यवस्था है. एक विशेष प्रकार के राजनीतिक प्रचार के बारे में देखा जाना बाकी है. डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल सभी पार्टियां कर सकती हैं.’
हालांकि, इससे पहले सभी उम्मीदवार को नामांकन के दौरान अपने सोशल मीडिया अकाउंट की डिटेल देनी होगी. चुनावी जनसभा में कोरोना से जुड़े सामाजिक दूरी के दिशा-निर्देश लागू होंगे. इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता. राजनीतिक दलों को भी दिशा-निर्देश का पालन करना होगा.
बता दें कि बिहार की आबादी 12 करोड़ है, लेकिन यहां मोबाइल फोनों की संख्या 9 करोड़ है. जबकि मतदाता 7 करोड़ 31 लाख. ऐसे में राजनीतिक दलों को इसमें दिक्कत आ सकती है. खासकर आरजेडी जैसी पार्टियों को इसमें दिक्कत होगी. लेकिन अभी चुनाव अभियान की औपचारिक शुरुआत नहीं हुई है. इसलिए अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.
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