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दिव्यांग रज्जाक किसी तरह ट्रेन में बैठ कर दिल्ली से पंजाब के पटियाला (Patiala) पहुंच गया. सड़क पर रोते मासूम को पटियाला निवासी गुरुनाम सिंह ने उसे देख लिया. इसके बाद गुरुनाम सिंह दिव्यांग बच्चे को लेकर अपने घर गए
दिव्यांग रज्जाक किसी तरह ट्रेन में बैठ कर दिल्ली से पंजाब के पटियाला पहुंच गया. सड़क पर रोते मासूम को पटियाला निवासी गुरुनाम सिंह ने उसे देख लिया. इसके बाद गुरुनाम सिंह दिव्यांग बच्चे को लेकर अपने घर गए और उसके परिजनों को खोजने की कोशिश की. लेकिन कुछ जानकारी नहीं होने पर गुरुनाम सिंह ने बच्चे के पालन पोषण की ज़िम्मेदारी ले ली. और दिव्यांग बच्चे को पटियाला के मूक बधिर स्कूल में दाखिल कर दिया, जहां स्कूल के करता धर्ता करतार सिंह की देख रेख में वह शिक्षा दीक्षा लेने लगा. इसी बीच रज्जाक सोशल मीडिया पर फेस बुक का उपयोग करने लगा. फेस बुक पर रजक ने अपनी फोटो लोड की. किसी तरह उसका बचपन का एक दोस्त से उससे फेसबुक पर जुड़ गया. दोस्त ने उसकी फोटो को पहचान कर परिजनों को सूचना दी. परिजनों ने अपने कलेजे के टुकड़े को देखते ही पहचान लियाऔर पटियाला के स्कूल से सम्पर्क कर बच्चे से सम्पर्क किया.
स्कूल प्रबंधन ने रज्जाक को परिजनों से मिलवाया
आखिर स्कूल प्रबंधन ने रज्जाक को परिजनों से मिलवाया.परिजन दिव्यांग रज्जाक को लेकर सोमवार को जब फर्रुखाबाद अपने घर पर आए तब 9 साल पहले बिछड़े अपने कलेजे के टुकड़े को देख कर मां ने अपने आगोश में समेट लिया. वहीं, 9 साल पहले गम हुए बच्चे को अपने बीच पाकर परिजन काफी खुश हैं. 9 साल बाद वापस घर आए दिव्यांग के पिता ने बताया कि मेरा बेटा रज्जाक जो दिव्यांग है. वह बोल और सुन नहीं सकता है. वह दिल्ली रिश्तेदारी में मेरे साथ गया था. वहां वह खो गया. काफी खोजा लेकिन नहीं मिला. हम लोग थक हार कर घर बैठ गए.दोस्त ने बताया कि फेसबुक पर रज्जाक की फ़ोटो है
बीते दो माह पहले मेरे बेटे का एक दोस्त ने बताया कि फेसबुक पर रज्जाक की फ़ोटो है. हम लोगो ने फ़ोटो को देख कर पहचान लिया. इस तरह हम लोगों को जानकारी हुई. पहले खोए हुए बच्चे की कहानी बताते हुए पिता ने बताया कि दिल्ली से गुम होने के बाद उसका बेटा किसी तरह पंजाब के पटियाला पहुंच गया, जहां उस बच्चे को पटियाला के एक सिख परिवार गुरुनाम सिंह ने अपने घर पर रखा. जिसकी उन्होंने परवरिश की. इतना ही नहीं उन्होंने मूक बधिर बच्चे को मूक बधिर स्कूल में दाखिला कर दिया, जहां उसकी पढ़ाई होने लगी. आज यह बच्चा 17 साल का है और उसको अच्छी शिक्षा मिल रही है. हम लोग बहुत खुश हैं. पिता ने बताया कि हम सब सरदार गुरुमीत सिंह व स्कूल के प्रबंधक करतार सिंह का धन्यवाद अदा करते हैं. स्कूल की छुट्टियां खत्म होने के बाद हम लोग इसे स्कूल भेजेंगे.
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