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सावन महीने की अमावस्या के दिन हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) मनाई जाती है, जो इस बार 20 जुलाई (सोमवार) को है.
हरियाली अमावस्या मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारम्भ- 20 जुलाई की रात 12 बजकर 10 मिनट पर
अमावस्या तिथि समाप्त- 20 जुलाई की रात 11 बजकर 02 मिनट परहरियाली अमावस्या का महत्व
प्राकृतिक महत्व के कारण सावन महीने की अमावस्या बहुत ही लोकप्रिय होती है. इस दिन वृक्षों और हरियाली के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए इसे हरियाली अमावस्या के तौर पर जाना जाता है. वहीं धार्मिक दृष्टिकोण से श्रावणी अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए पिंडदान और दान-धर्म करने का महत्व है. हरियाली अमावस्या हरियाली तीज से तीन दिन पहले मनाई जाती है.
उत्तर भारत के विभिन्न मंदिरों में और खासतौर पर मथुरा और वृन्दावन में, हरियाली अमावस्या के अवसर पर विशेष दर्शन का आयोजन किया जाता है. वहीं गुजरात में, हरियाली अमावस्या को हरियाली अमावस तथा हरियाली अमास के नाम से भी जाना जाता है लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते भक्त मंदिरों में दर्शन नहीं कर सकेंगे.
हरियाली अमावस्या पूजा विधि
हरियाली अमावस्या के दिन सुबह उठकर गंगा जल से स्नान कर स्वच्छ हो जाएं. इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें. फिर पितरों के निमित्त तर्पण करें. फिर श्रावणी अमावस्या का उपवास करें और जरूरतमंद लोगों को दान-दक्षिणा दें. श्रावणी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का विधान है. इस दिन पीपल, बरगद, केला, नींबू अथवा तुलसी का पौधरोपण जरूर करें. हरियाली अमावस्या के दिन नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाना भी बड़ा ही फलदायी बताया जाता है. अपने घर के पास चींटियों को चीनी या सूखा आटा जरूर खिलाएं. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Hindi information18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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