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बाढ़ (Flood) के समय लाचार और असहाय जनता का दुख-दर्द जानना अच्छी बात है, लेकिन सवाल यह उठता है कि इस क्रम में कोरोना महामारी (Corona epidemic) को पप्पू यादव (Pappu Yadav) कैसे भूल गए और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा दीं.
ये पब्लिक है सब जानती है…
ग्रामीणों से मिली जानकारी के मुताबिक, मधेपुरा प्रखंड के भेजा थाना क्षेत्र में बकुवा, भरगामा, टेंगराहा और करहारा गांव होते हुए जाप सुप्रीमो का काफिला निकला. इस बीच कई जगह अपनी नाव रोक कर पप्पू यादव लोगों से रूबरू हुए और हालचाल जाना. वहीं, पार्टी कार्यकर्ताओं ने स्थानीय युवकों को नेताजी का नंबर दिया. नेताजी ने फोन पर अपनी समस्याएं बताते रहने की सलाह देकर स्थानीय युवकों के चेहरे पर मुस्कान ला दी. इस दौरान ग्रामीणों ने पूर्व सांसद को स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली समेत बाढ़ से हो रही परेशानियां सुनाई. पप्पू यादव ने मौके से ही स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को फोन लगाया, लेकिन नेटवर्क न होने की बात कहकर बाद में इन समस्याओं का समाधान करने का भरोसा दिया.
लॉकडाउन में लोगों के बीच जाना जायज है?
चुनावी साल में जनता जनार्दन का हालचाल लेने में कोई भी सियासी दल पीछे नहीं रहना चाहता, वहीं बाढ़ के समय लाचार और असहाय जनता का दुख-दर्द जानना अच्छी बात है. लेकिन, सवाल यह उठता है कि कोरोना के तेजी से बढ़ रहे संक्रमण को ब्रेक करने के लिए गुरुवार से बिहार में लॉकडाउन किया गया है. ऐसे में किसी नेता का अपने काफिले के साथ लोगों के बीच पहुंचना जायज है? वहीं सवाल ये भी है कि लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं करने पर प्रशासन अब तक मौन क्यों है?
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