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2010 से 2015 तक श्याम बिहारी राम (Shyam Bihari Ram) चेनारी विधानसभा से जेडीयू के विधायक थे. लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया. फिर भी वे संगठन में बने रहे और पार्टी के विभिन्न पदों पर काम करते रहे.
क्या कहते हैं पूर्व विधायक श्याम बिहारी राम
जेडीयू छोड़कर रालोसपा का दामन थामे श्याम बिहारी राम ने कहा कि सरकार की तमाम योजनाएं धरातल पर उतरने के बजाय फेल हो रही हैं. ऐसे में कार्यकर्ता अपने आप को पूरी तरह से उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. अब जेडीयू में उनके जैसे जुझारू कार्यकर्ताओं के लिए कोई स्थान नहीं बचा है. इसीलिए अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ उन्होंने रालोसपा का हाथ थाम लिया है.
रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने किया स्वागतरालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने श्याम बिहारी राम का अपनी पार्टी में स्वागत किया और कहा कि उनके आने से खासकर शाहाबाद के क्षेत्र में रालोसपा को और मजबूती मिलेगी. श्याम बिहारी राम एक जुझारू कार्यकर्ता हैं और जमीन से जुड़े हुए हैं. वे शुरू के दिनों से ही संघर्षशील नेता रहे हैं. लेकिन नीतीश कुमार जी ने कभी भी जमीनी और संघर्षशील नेताओं को तवज्जो नहीं दिया. यही कारण है कि बारी-बारी से उनके तमाम मजबूत सहयोगी साथ छोड़ कर जा रहे हैं.
क्या है चेनारी की राजनीति
वर्ष 2010 में जेडीयू के टिकट से श्याम बिहारी राम पहली बार विधायक बने. उन्होंने चेनारी सुरक्षित विधानसभा सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद प्रत्याशी ललन पासवान को हराया था. लेकिन सन 2015 के चुनाव में चेनारी सीट रालोसपा के खाते में चली गई. जहां 2010 का विधानसभा चुनाव राजद की टिकट से हार चुके ललन पासवान रालोसपा का दामन थाम कर चेनारी में 2015 में मैदान में आ गए. सीट गठबंधन में जाने पर श्याम बिहारी राम का टिकट कट गया. लेकिन फिर भी श्याम बिहारी राम जदयू में बने रहे और संगठन के लिए लगातार काम करते रहे. बदलते घटनाक्रम के साथ रालोसपा के विधायक रहे ललन पासवान जेडीयू में चले गए. ऐसे में अब चेनारी सीट पर जेडीयू के सीटिंग विधायक ललन पासवान हो गए. जेडीयू में ललन पासवान का कद अचानक बड़ा होने के कारण श्याम बिहारी राम को अपना राजनीतिक भविष्य अंधकार में दिखने लगा. ऐसी स्थिति में श्याम बिहारी राम ने पॉलिटिकल डिसीजन लेते हुए उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में जाना मुनासिब समझा. अब देखना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में इस दलबदल का चेनारी की राजनीति में क्या प्रभाव पड़ता है.
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