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इस ऑडियो के सामने आने के बाद दरोगा केके शर्मा और सिपाही राजीव चौधरी को सस्पेंड कर दिया गया था. इससे पहले एसएसपी (SSP) दिनेश कुमार शर्मा ने चौबेपुर एसओ विनय तिवारी और दरोगा कुंवर पाल को भी निलंबित किया था.
अर्जी में सस्पेंड दरोगा केके शर्मा ने विकास दुबे और उसके साथियों के एनकाउंटर के मद्देनजर ख़ुद की जान को खतरा बताते हुए अदालत से सुरक्षा की मांग की है. इसके साथ ही इस मामले की जांच यूपी पुलिस के बजाए सीबीआई या किसी दूसरी स्वतंत्र एजेंसी से कराए जाने की मांग की है. बता दें कि दरोगा केके शर्मा कानपूर एनकाउंटर के वक्त वहां मौजूद थे. लेकिन एन मौके पर घटना स्थल से भाग गए थे. उनको और एसओ विनय तिवारी को पुलिस ने विकास दुबे से संबंध रखने, उसके लिए मुखबरी करने और एनकाउंटर के समय पुलिस टीम की जान ख़तरे में डालने के आरोप में गिरफ्तार कर किया था.
दोनों दरोगा को किया गया था सस्पेंड
इस ऑडियो के सामने आने के बाद दरोगा केके शर्मा और सिपाही राजीव चौधरी को सस्पेंड कर दिया गया था. इससे पहले एसएसपी दिनेश कुमार शर्मा ने चौबेपुर एसओ विनय तिवारी और दरोगा कुंवर पाल को भी निलंबित किया था. दरअसल, पूरे मामले में अब तक की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि दबिश की मुखबिरी पुलिस विभाग से ही की गई थी. यूपी एसटीएफ ने पूर्व चौबेपुर एसओ विनय तिवारी और दरोगा केके शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है. दोनों पर 120बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.मुठभेड़ में मारा गया विकास दुबे
बता दें कि 2 जुलाई की रात विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर दबिश देने पहुंची पुलिस टीम पर हमला किया था. इस हमले में क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इस घटना के बाद विकास दुबे अपने गुर्गों के साथ फरार हो गया था. 9 जुलाई को ही उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर से विकास दुबे को पकड़ लिया गया. उसे कानपुर पुलिस और एसटीएफ की टीम कानपुर ला रही थी, तभी गाड़ी पलट गई और विकास दुबे हथियार छीनकर भागने लगा. पुलिस की जवाबी कार्रवाई में विकास दुबे भी मारा गया है.
(रिपोर्ट- सुशील पांडेय)
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