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रवि कुमार (Ravi Kumar) का 50 फीसदी शरीर लकवाग्रस्त है. लेकिन इस खिलाड़ी ने अपने आधे शरीर से ही कामयाबी की उड़ान भरी है. रवि ने 2019 में वर्ल्ड पैराएथलीट चैंपिनयनशिप में 65 देशों के खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए 100 मीटर रेस में स्वर्ण पदक जीता था.
यह कहानी है पैराएथलीट चैंपियन रवि कुमार (Ravi Kumar) की. रवि कुमार का पचास फीसदी शरीर लकवाग्रस्त है. लेकिन कभी न हारने की कसम खाने वाले इस खिलाड़ी ने अपने आधे शरीर से ही कामयाबी की उड़ान भरी है. रवि कुमार ने 2019 में वर्ल्ड पैराएथलीट चैंपिनयनशिप में पैसठ देशों के खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए सौ मीटर रेस में स्वर्ण पदक जीता. अब कोरोनाकाल इस खिलाड़ी की परीक्षा ले रहा है. वर्तमान में कमाई का कोई साधन न होने पर इस पैरा खिलाड़ी को जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो वह मिट्टी के घड़े बेचकर अपना और अपने परिवार का पेट पालने लगा. टीम इंडिया की टीशर्ट और हाथ में मिट्टी का घड़ा देखकर हर कोई हैरान रह जाता है.
कोरोनाकाल में खर्च निकालना मुश्किल
कोरोनाकाल में इस खिलाड़ी को अपने डाइट का खर्च निकालना भी मुश्किल पड़ रहा था. लिहाजा इसने घड़े बेचना शुरू कर दिया. रवि कुमार कहते हैं कि हर वक्त एक जैसा नहीं होता. ऊंच-नीच जीवन में लगा रहता है. हौसलो की उड़ान देखिए कि इस तंगहाली में भी रवि कुमार ने सपनों को सच कर दिखाने का जज्बा नहीं खोया. उनका कहना है कि 2022 में होने वाले एशियन चैंपयिनशिप की वह तैयारी कर रहे हैं और देश को मेडल हर हाल में देंगे. हालात चाहे जैसे हों. अपने बेटे की इस उड़ान को उनके पिता भी पंख देने में जुटे हुए हैं.हौसला नहीं पड़ा है कमजोर
रवि कुमार ने अब तक पैराएथलीट चैंपयिनशिप में स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर कई पदक जीते हैं. बावजूद उन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिली. लेकिन इसका उन्हें जरा भी मलाल नहीं है. रवि कुमार का कहना है कि अपना कर्म करते रहना चाहिए, फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए.
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