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विकास चौरसिया बताते हैं कि वे अपने अन्य पान विक्रेता भाइयों को भी संदेश दे रहें हैं कि अगर पीपीई किट (PPE Kit) न पहन सकें तो पूरी सावधानी के साथ मास्क, ग्लव्स और फेस शील्ड पहनकर पान बेचें.
पान में चूना लगाना हो या फिर पैकिंग, सारे काम उसी अंदाज में लेकिन पीपीई किट पहनकर. विशाल अपने यहां किसी को पान खाने के लिए नहीं देते. बल्कि उसी पारंपरिक अंदाज में पत्ते में पान को पैक करके घर जाकर खाने की सलाह देते हैं. बदले में जो पैसे मिलते हैं, उसे सेनिटाइज करते हैं. हर दो दिन में पीपीई किट बदल देते हैं. हर दो घंटे में ग्लव्स और मास्क बदल देते हैं. खास बात ये कि इस तौर तरीके से विशाल का खर्चा जरूर बढ़ गया लेकिन उन्होंने पान के रेट नहीं बढ़ाया.
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विकास चौरसिया बताते हैं कि वे अपने अन्य पान विक्रेता भाइयों को भी संदेश दे रहें हैं कि अगर पीपीई किट न पहन सकें तो पूरी सावधानी के साथ मास्क, ग्लव्स और फेस शील्ड पहनकर पान बेचें. उनका कहना है कि रोजमर्रा की जिंदगी में हम सभी कितना रुपए खाने पीने में खर्च कर देते हैं. ऐसे में कोरोना से बचाव के लिए थोड़ा बहुत पैसा ज्यादा खर्च हो गया तो क्या. जान है तो जहान है. घर में बच्चों की सुरक्षा पैसे से ज्यादा जरूरी है.विशाल की दुकान पर पान के शौकीन जब पहुंच रहे हैं तो उनके इस अंदाज को देखकर चौंक जा रहे हैं. स्थानीय लोग भी इस पान की दुकान में दिलचस्पी ले रहे हैं. फिलहाल कोरोनाकाल में ऐसा काम करना किसी चुनौती से कम नहीं है, लेकिन यह पान वाला मिसाल पेश कर रहा है. यहां पहुंचने वाले अधिकतर ग्राहक विशाल का वीडियो और फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं.पान विक्रेता विशाल चौरसिया के इस तरीके को लोग पसंद कर रहे हैं. विशाल का कहना है कि जब हमारे प्रधानमंत्री इतना प्रयास कर रहे हैं तो उनके संसदीय क्षेत्र के लोगों को भी ऐसी पहल कर आगे आना चाहिए तो कोरोना का दुश्मन नंबर एक बनना चाहिए.
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