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ऐसा पहली बार होगा जिसमें तराई क्षेत्रों के लोग राखी का त्यौहार नहीं मना पाएंगे. पहली बार सिद्धार्थनगर (Siddharthnagar) जिले के अंदर से नेपाल सीमा क्षेत्र के उस पार तक राखी पर्व पर भाइयों की कलाइयां सुनी रहेंगी.
जिले में कोरोना की वजह से लगी पाबंदियों ने कई दुकानों की कमर तोड़ दी है. वहीं, भाइयों की कलाई भी सूनी रहने वाली है. वर्तमान समय में जिले के पांचों तहसील मिलाकर 45 हॉटस्पॉट होने की वजह से घरों से बाहर निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी है. इसके साथ दुकानें भी बंद हैं. तीज़ त्यौहारों के इस महीने करोड़ों का व्यापार दोनों देशों के बीच होता था. जिसमें से सावन, राखी, बकरीद और हरियाली तीज़ जैसे त्योहारों की वजह से सभी छोटे बड़े दुकानदारों की रोजी-रोटी चलती रहती थी. पर लॉकडाउन की वजह से इनकी कमाई भी लगभग न के बराबर हैं. सीमाएं सील होने से दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार पूरी तरह से ठप हैं और रिश्तो में भी तनाव है.
पहली बार नहीं मनाई जाएगी राखी
ऐसा पहली बार होगा जिसमें तराई क्षेत्रों के लोग राखी का त्यौहार नहीं मना पाएंगे. पहली बार सिद्धार्थनगर जिले के अंदर से नेपाल सीमा क्षेत्र के उस पार तक राखी पर्व पर भाइयों की कलाइयां सुनी रहेंगी. तराई क्षेत्रों में रहने वाले हजारों बहन ने अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध पाएंगी. कोरोना की वजह से 24 मार्च से ही सभी सीमाएं सील हैं.पोस्टल और कोरियर सुविधा भी नहीं है उपलब्ध
इससे पहले तीज़ त्योहारों पर परिवार से मुलाकात तो हो जाती थी. अगर मुलाकात नहीं होती तो कोरियर के जरिए राखी पहुंचाई जा सकती थी. लेकिन इस बार ऐसी कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है. दोनों देशों के बीच बढ़ी तल्खी की वजह से रिश्तो में भी खटास है. और नेपाल के 48 प्रतिशत मधेशी भारत आने जाने वाले भाई बहन मायूस हैं. वहीं, जिले में इस बार भी कोरोना से राखी पर्व पर हजारों भाइयों की कलाइयां सुनी रह जाएंगी.
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