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सांसद बनने के बाद दिखे नहीं राजबब्बर
दरअसल उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य चुने जाने के बाद राजबब्बर कभी प्रदेश में दिखाई नहीं दिए. 2015 में कांग्रेस की तत्कालीन राज्यसभा सांसद मनोरमा शर्मा डोबरियाल के निधन के बाद राज्यसभा की सीट खाली हुई थी. उस सीट पर जीतकर कांग्रेस नेता राजबब्बर राज्यसभा पहुंचे लेकिन वह पूरे समय अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश की ही राजनीति करते रहे.
हालत यह रही कि प्रदेश में उनके ‘मिसिंग’ के पोस्टर भी लगाए गए लेकिन शायद यह ख़बर तक राजबब्बर तक नहीं पहुंची. राजबब्बर 2019 में यूपी से लोकसभा का चुनाव भी लड़े थे लेकिन हार गए और उनकी राज्यसभा की सदस्यता बनी रही.प्रदेश से ऐसी बेरुखी हाल के समय में नहीं दिखी और बीजेपी के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी तो बेहद सक्रिय हैं और अपनी सांसद निधि से बहुत सारा पैसा राज्य के कल्याण के लिए खर्च कर रहे हैं. यही वजह है कि बीजेपी हो या कांग्रेस दोनो पार्टी चाहती हैं कि राज्यसभा सांसद जो भी हो, अपने प्रदेश का हो.
जो हो, उत्तराखंड से जुड़ा हो
बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान का कहना है कि राज्यसभा चुनाव का प्रत्याशी जो भी होगा वह हर लिहाज़ से उत्तराखंड से जुड़ा होगा क्योंकि कांग्रेस के राजबब्बर ने बता दिया है कि अगर नेता बाहर का हो तो उसके दर्शन भी दुर्लभ हो जाते हैं .
राजबब्बर से उत्तराखंड के कांग्रेसी भी अघा गए हैं. हालांकि इस बार राज्यसभा सदस्य बीजेपी का ही चुना जाना है इसलिए कांग्रेस नेता कहते हैं कि पार्टी कोई भी हो राज्यसभा उम्मीदवार अपने राज्य का ही होना चाहिए.
मुख्यमंत्री इस पर कोई टिप्पणी नहीं करते. उनका कहना है कि चुनाव करवाने का काम चुनाव आयोग का है. आयोग भी कहेगा सरकार तैयार है.
13 में 5 सांसद अन्य राज्यों के
बता दें कि उत्तराखंड बनने से अब तक 13 राज्यसभा सांसद यहां से संसद पहुंचे हैं. इनमें 3 सांसद राज्य बनने से पहले उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के सदस्य थे और राज्य निर्माण के बाद उत्तराखंड के राज्यसभा सांसद बन गए. उनका कार्यकाल उत्तराखंड में ही पूरा हुआ.
अब तक रहे कुल 13 राज्यसभा सांसदों में से 5 अन्य राज्यों से थे जबकि 8 सांसद उत्तराखंड के रहे. जो 5 सांसद दूसरे राज्यों से रहे, वह हैं- संघप्रिय गौतम, सुषमा स्वराज, सतीश शर्मा, सत्यव्रत चतुर्वेदी और राजबब्बर शामिल.
वहीं उत्तराखंड निवासी मनोहरकांत ध्यानी, हरीश रावत, भगत सिंह कोश्यारी, तरुण विजय, महेंद्र माहरा, मनोरमा शर्मा डोबरियाल, प्रदीप टम्टा और अनिल बलूनी हैं.
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