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गौरतलब है कि कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने विधायक अदिति सिंह (Aditi Singh) की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष 26 नवंबर 2019 को एक याचिका दी थी.
इस फैसले से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है क्योंकि पार्टी विरोधी रुख अपनाने के बाद अदिति सिंह की सदस्यता रद्द करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने याचिका दाखिल की थी. अदिति सिंह रायबरेली के सदर से कांग्रेस विधायक हैं और तमाम मौके पर पार्टी विरोधी रुख अपनाती रही हैं.
व्हिप उल्लंघन का आरोप
गौरतलब है कि कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने विधायक अदिति सिंह की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष 26 नवंबर 2019 को एक याचिका दी थी. कांग्रेस का आरोप है कि अदिति सिंह ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए 2 अक्टूबर 2019 को योगी सरकार द्वारा बुलाए गए विशेष सत्र में हिस्सा लिया. जबकि पार्टी ने गांधी जयंती पर सरकार के इस विशेष सत्र का बहिष्कार करते हुए विधायकों के लिए व्हिप जारी किया था.इससे पहले 31 मई 2019 को कांग्रेस ने अपने एक और विधायक राकेश सिंह की सदस्यता रद्द करने के लिए याचिका दी थी. हरचंदपुर के विधायक राकेश सिंह ने रायबरेली सीट पर होने वाले लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी का विरोध किया था. दोनों ही मामले में लंबे समय तक फैसला न होने की स्थिति में कांग्रेस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली थी. अब हाईकोर्ट ने 16 जुलाई तक फैसला लेने के निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट के इसी आदेश के आधार पर कहा जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष फैसला ले सकते हैं.
लगातार पार्टी के खिलाफ बोलती रही हैं अदिति
गौरतलब है कि सूबे में योगी सरकार बनने के बाद से ही अदिति सिंह का झुकाव बीजेपी की तरफ देखने को मिला है. कई बार उन्होंने केंद्र व योगी सरकार के पक्ष में बोलती भी नजर आई. इतना ही नहीं गांधी जयंती के विशेष सत्र में हिस्सा लेने पर भी उन्होंने कहा था कि यह उनका फैसला था. वो इस विशेष सत्र का हिस्सा बनकर लोगों की बात रखने के लिए गई थीं.
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