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2018 में एक समारोह के दौरान लाल जी टंडन (Lalji Tandon) ने लखनवी तहजीब का जिक्र करते हुए कहा कि वे गालिब की तरह ही आधे हिंदू और आधे मुसलमान हैं. शहर काजी से उनका पीढ़ियों का संबंध है. लखनऊ से उनका रिश्ता कभी नहीं टूटेगा.
जब राजनाथ ने कहा कि धन्यवाद’सुनने को तरस गया…
2018 में साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में एक बार लालजी टंडनजी के अभिनंदन कार्यक्रम में राजनाथ सिंह ने हंसी-मजाक के दौर में कहा था कि अगर मैं लखनऊ से चुनाव न लड़ता तो आज लालजी टंडन राज्यपाल न होते. उनके राज्यपाल बनने का पूरा श्रेय मुझे ही जाता है लेकिन, मैं उनसे ‘धन्यवाद’सुनने को तरस गया. उस समय लालजी टंडन बिहार के राज्यपाल थे. राजनाथ सिंह ने कहा कि 1977 से वे लालजी टंडन के संपर्क में हैं. भाजपा कार्यालय पर कार्यकर्ताओं को सबसे लंबे समय तक उनका ही मार्गदर्शन मिला. कोई कितने ही तनाव में क्यों न हों लेकिन टंडन से मिलने के बाद तनाव काफूर हो जाता था.
‘मेरे पर कतर दिए, अब नहीं लड़ सकूंगा चुनाव’दूसरी तरफ टंडन जी भी कार्यक्रम का आनंद ले रहे थे. वे भी कहां चूकने वाले थे. उन्होंने कहा कि राजनाथ ने मेरे पर कतर दिए, अब नहीं लड़ सकूंगा चुनाव. तत्कालीन बिहार के नवनियुक्त राज्यपाल ने कहा कि राजनाथ सिंह ने उनके पर कतर दिए. अब वे चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. तकनीकी रूप से उन्हें राज्यपाल बनाने का श्रेय राजनाथ को जाता है, पर इसमें प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का आशीर्वाद मुख्य रूप से शामिल है.
‘अटल जी से मिली विरासत राजनाथ सिंह को सौंपकर जा रहा हूं’
उन्होंने कहा, ‘गृहमंत्री घबरा तो नहीं रहे हैं कि कहीं मैं फिर चुनाव लड़ने न आ जाऊं. टंडन जी ने कहा था कि समारोह में लखनऊ के हर वर्ग और तबके के लोग शामिल हैं और अटल जी से मिली विरासत राजनाथ सिंह को सौंपकर जा रहा हूं.’ टंडन ने लखनवी तहजीब का जिक्र करते हुए कहा कि वे गालिब की तरह ही आधे हिंदू और आधे मुसलमान हैं. शहर काजी से उनका पीढ़ियों का संबंध है. लखनऊ से उनका रिश्ता कभी नहीं टूटेगा. टंडन जी का रिश्ता कायम रहा. अंतिम सांस भी उन्होंने लखनऊ में ही ली.
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