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ग्राम विकास अधिकारी अमित तिवारी की तैनाती ग्राम पंचायत के छानी बुजुर्ग, खड़ेहीजार, कल्ला और मोराकांदर गांव में थी. 20 मार्च से वह चारों पंचायतों के मूल अभिलेखों के साथ गायब हैं.
ग्राम विकास अधिकारी अमित तिवारी की तैनाती ग्राम पंचायत के छानी बुजुर्ग, खड़ेहीजार, कल्ला और मोराकांदर गांव में थी. 20 मार्च से वह चारों पंचायतों के मूल अभिलेखों के साथ गायब हैं. अभिलेखों के साथ नदारद होने पर उन्हें 6 अप्रैल को निलंबित किया गया. जिला विकास अधिकारी विकास कुमार के आदेश से निलंबित हुए ग्राम विकास अधिकारी का निलंबन आदेश अभी तक रिसीव नहीं हुआ है. एक मई को बीडीओ ने निलंबन नोटिस उनके निवास पर चस्पा कराने के साथ एक प्रति पिता को रिसीव कराई. इसके बाद 6 मई को निलंबन आदेश रजिस्टर्ड डाक से मूल पते पर भेजा गया. 26 मई को निलंबन की पत्रावली तैयार कर जांच के लिए एडीओ पंचायत के सुपुर्द कर दी गई. एडीओ पंचायत ने विधिक कार्रवाई के लिए सलाह मांगी है. मगर आगे की कार्रवाई अभी तक नहीं हो सकी.
अभी तक दर्ज नहीं हो सकी है एफआईआर
एडीओ पंचायत ने हालात जानने के लिए ग्राम प्रधानों के साथ चार्ज में आए सचिवों से जवाब तलब किया है. मगर किसी ने अभी तक जवाब नहीं दिया. सवाल यह है कि जब पंचायतों के मूल अभिलेखों के साथ सचिव नदारद हैं तब चार्ज में आए सचिव किस आधार पर पंचायतों में कार्य कराते हुए भुगतान आदि करा रहे हैं.बता दें एक दिसंबर 2017 को मुख्य सचिव राजीव कुमार ने आदेश जारी किया था, ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ 10 दिन के अंदर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए. लेकिन मुकदमा दर्ज कराने की जहमत किसी अधिकारी ने नहीं उठाई है. खंड विकास अधिकारी अभिमन्यु सेठ इस प्रकरण में चुप्पी साधे हैं.
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