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डीएम ने सीएमओ को सुशीला तिवारी चिकित्सालय (STH) में COVID-19 से eight मरीजों की मृत्यु के डेथ ऑडिट को रिव्यू करने को कहा है. साथ ही अस्पताल में ICU बनने के बाद भी मरीजों को भर्ती न करने और ऐसे कई अन्य मामलों की जांच होगी.
गंभीर मरीजों को नहीं दिया आईसीयू
सुशीला तिवारी अस्पताल कुमाऊं मंडल के छह जिलों का सबसे बड़ा अस्पताल है. इसे COVID-19 हॉस्पिटल में तब्दील किया गया है. अस्पताल में कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए 30 बेड का अलग से आईसीयू बनाया गया है. लेकिन मार्च में तैयार हो चुके आईसीयू में अप्रैल, मई, जून और जुलाई में एक भी मरीज को भर्ती नहीं किया गया, जिससे अस्पताल प्रशासन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं.
बताया जा रहा है कि अस्पताल का एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट दूसरे विभाग के डॉक्टरों या विभागों का सहयोग नहीं करता. एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट के सहयोग न मिलने से चार महीने तक अस्पताल का आईसीयू बंद रहा. इस दौरान कई कोरोना मरीजों की मौत हो गई. जाहिर है जिनकी मौत हुई है, वे गंभीर रहे होंगे. ऐसे में बिना आईसीयू उनका इलाज कैसे हुआ? डीएम ने इसी की जांच के आदेश दिए हैं.नोडल अधिकारी उठा चुके हैं सवाल
सुशीला तिवारी अस्पताल की मॉनीटरिंग के लिए नोडल ऑफिसर बनाए गए आईएएस अधिकारी और कुमाऊं मंडल विकास निगम के जीएम रोहित मीणा ने अस्पताल की कार्यप्रणाली तथा गड़बड़ी के संबंध में अपनी एक गुप्त रिपोर्ट डीएम को सौंपी है. इसमें बताया गया है कि अस्पताल में खामियों के लिए कौन लोग जिम्मेदार हैं.
नोडल अधिकारी मीणा की रिपोर्ट में साफ है कि एसटीएच में टियर-Three आईसीयू (हाई इन्टेसिव आईसीयू) में कोरोना मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है. अस्पताल ने इसकी वजह किसी भी कोरोना मरीज को हाई इन्टेसिव आईसीयू की आवश्यकता न होना बताया है. लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि हाल ही में eight मरीजों की कोरोना संक्रमण के कारण मृत्यु हो चुकी है. ये मरीज कोरोना संक्रमण की दृष्टि से गम्भीर मरीजों की श्रेणी में आते थे. इन मरीजों को हाई इन्टेंसिव आईसीयू मे भर्ती किए जाने की आवश्यकता थी.
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