[ad_1]
बीते 5 फरवरी 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने खुद इस न्यास की स्थापना की घोषणा की थी. तीर्थ क्षेत्र न्यास का रजिस्टर्ड ऑफिस का पता आर 20, जीके 1, नई दिल्ली है, जबकि इसका कैंप ऑफिस राम कचहरी चारों धाम मंदिर, रामकोट, अयोध्या में है. मंदिर निर्माण के लिए इस ट्रस्ट को 2.77 एकड़ की ज़मीन सौंपी गई थी, जबकि 67.703 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण किए जाने की मंज़ूरी दी गई थी.
कौन हैं इस ट्रस्ट के सदस्य?
इस ट्रस्ट के प्रमुख महंत नृत्यगोपाल दास. 15 सदस्यों वाले इस ट्रस्ट में अन्य 14 सदस्यों के नाम जुलाई में इस तरह सामने आए थे :ये भी पढ़ें :- क्या है ओटीटी प्लेटफॉर्म और किस तरह यहां पैसा कमाती हैं फिल्में?
स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज, कोषाध्यक्ष
चंपत राय, महासचिव
के परासरन, सीनियर एडवोकेट
नृपेंद्र मिश्र, आईएएस
स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती महाराज, सदस्य
स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थजी महाराज, सदस्य
युगपुरुष परमानंद गिरि जी महाराज, सदस्य
विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, सदस्य
डॉ अनिल मिश्र, होम्योपैथिक डॉक्टर, सदस्य
कामेश्वर चौपाल, सदस्य
महंत देवेंद्र दास, सदस्य
ज्ञानेश कुमार, आईएएस, गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव
अविनाश अवस्थी, आईएएस, उप्र सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव
अनुज झा, आईएएस, अयोध्या डीएम
राम मंदिर निर्माण के लिए बनाए गए ट्रस्ट के प्रमुख महंत नृत्यगोपाल दास हैं.
भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल रह चुके वकील के परासरन ने ही श्री राम लला विराजमान की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी. ट्रस्ट बनने पर शुरूआत में परासरन ही इसके प्रमुख थे, लेकिन बाद में महंत नृत्यगोपाल दास को प्रमुख बनाया गया. महंत नृत्यगोपाल दास के बारे में ज़रूरी फैक्ट्स जानने चाहिए.
92 से मंदिर के लिए लड़ाई का चेहरा
राम जन्मभूमि मंदिर के लिए चली लड़ाई में 1992 से अगुवा के तौर पर उभरे धार्मिक नेता महंत नृत्यगोपाल दास अयोध्या के सबसे चर्चित चेहरों में रहे हैं. अयोध्या के सबसे बड़े मंदिर मणिराम दास की छावनी के पीठाधीश्वर के रूप में उनकी ख्याति रही. 1993 में विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को संपन्न करने के लिए जो ट्रस्ट बनाया था, महंत उसके भी प्रमुख रहे.
महंत बनने की कहानी
महंत राम मनोहर दास ने नृत्यगोपाल दास का दीक्षा संस्कार संपन्न किया था और उन्हीं की प्रेरणा से नृत्यगोपाल ने वाराणसी के संस्कृत विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन कर शास्त्री की उपाधि पाई. 1965 में अयोध्या में एक भव्य समारोह में सिर्फ 27 वर्षीय नृत्यगोपाल दास को महंत के तौर पर स्थापित किया गया. छोटी छावनी कहे जाने वाले अयोध्या के सबसे बड़े मंदिर में महंत रहे मणि राम दास महाराज का उत्तराधिकार उन्होंने संभाला.
ये भी पढ़ें :-
सुशांत सिंह राजपूत केस: बिहार की सिफारिश के बाद क्या संभव है CBI जांच?
कोविड 19 के खात्मे की राह में क्यों रोड़ा बन रहा है ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’?
करीब 25 एकड़ में फैला यह मंंदिर अयोध्या के मुख्य आकर्षणों में रहा है, जहां रोज़ाना सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचते रहे हैं. यहां एक खंभे पर संपूर्ण गीता को तराशकर लिखा गया है. नृत्य गोपालदास मुख्य मंदिर के ऊपरी हिस्से में आसंदी पर होते हैं और वहीं सुबह व शाम श्रद्धालुओं से मिलते रहे हैं. उनसे जुड़े कुछ तथ्य जानने लायक हैं.
➔ अयोध्या में रामायण भवन, श्री रंगनाथ मंदिर और श्री चार धाम मंदिर जैसे कई महत्वपूर्ण मंदिर बनवाने का श्रेय महंत नृत्यगोपाल दास को ही दिया जाता है.
➔ सरयू में जब प्रात:स्नान के बाद महंत अपने शिष्यों के साथ लौट रहे थे, तब 2001 में अज्ञात लोगों ने उन पर बम फेंके थे. तबसे महंत की सुरक्षा में दो पुलिसकर्मी रहते हैं.
➔ नृत्यगोपाल दास का जन्म 11 जून 1938 को एक ब्राह्मण परिवार में मथुरा के केरहला गांव में हुआ था. 1953 में कॉमर्स पढ़ने के लिए उन्होंने मथुरा के लालाराम कॉलेज में दाखिला लिया था.
➔ कॉलेज में पारंपरिक पढ़ाई से मन ऊब जाने पर करीब दो साल बाद गांधी जयंती के दिन नृत्यगोपाल दास ने पढ़ाई छोड़कर अयोध्या कूच किया था.
ये भी पढ़ें :- सुशांत सिंह राजपूत केस में जांच करने वाले IPS विनय तिवारी कौन हैं?
गौरतलब है कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और निर्देश के बाद राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बना, लेकिन 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड के बाद 1993 में विहिप ने राम जन्मभूमि न्यास की स्थापना की थी. इस न्यास के मुखिया रामचंद्र परमहंस थे. परमहंस की मृत्यु के बाद 2003 में महंत नृत्य गोपालदास ने इस ट्रस्ट के प्रमुख के तौर पर कार्यभार संभाला और राम मंदिर निर्माण के लिए लड़ाई का नेतृत्व किया.
[ad_2]
Source