[ad_1]
बैंक (Bank) के व्यवस्थापक महेश चंद्र ने बताया कि सभी बैंकों की तरह यहां भो लोन दिया जाता है. इस बैंक में बाकायदा भक्तों का खाता खोला जाता है.
बैंक के व्यवस्थापक महेश चंद्र ने बताया कि सभी बैंकों की तरह यहां भो लोन दिया जाता है. इस बैंक में बाकायदा भक्तों का खाता खोला जाता है. फिर उन्हें पासबुक भी मुहैया कराई जाती है. बस अंतर इतना है कि यहां रुपयों के बदले कर्ज के रूप में सवा लाख राम नाम की नामावली दी जाती है और भक्तों को इस को इस नामावली को जमा भी करना पड़ता है. यानी इस बैंक में राम नाम का कर्ज मिलता है. हर भक्त अपनी मनोकामना लेकर इस बैंक में आता है और रामलला से सवा लाख राम नाम का कर्ज लेकर उसे राम नाम से दर कर वापस इस बैंक में जमा करता है.
ये भी पढे़ं- राम मंदिर भूमि पूजन: आदिवासियों और दलितों में रामत्व जगाएगी VHP, फिलहाल मथुरा, काशी एजेंडे से दूर
इस बैंक में अब तक पिछले 94 सालों से अब तक 1 अरब से ऊपर राम नाम का खजाना भर चुका है. इसमें कई रामभक्त ऐसे भी थे, जिन्होंने राम मंदिर बनने के लिए राम नाम कर्ज लिया था और उसे भर कर इस खजाने में जमा किया था. आज उन भक्तों की मनोकामना पूरी हुई. गौदोलिया निवासी आकाश और रामभक्त अंकित बताती हैं कि और रामलला भी अपने भक्तों को उदास नही करते हैं. एक तरफ जहां रामलला उन्हें कर्ज देते हैं तो अपने बाल स्वरूप के दर्शन देकर उनकी मनोकामना भी पूरी करते हैं.94 साल का हुआ बैंक
वाराणसी के विश्वनाथ गली में बना राम रमापति बैंक 94 साल का हो गया. सैकड़ों की संख्या में इसके खाताधारक हैं. इस बैंक में रखी पोटलियों में रुपये नहीं, बल्कि राम नाम से लिखे कागजात हैं. जिनकी संख्या अरबों हो गई है. इस बैंक में बाकायदा कर्मचारी भी नियुक्त हैं. ये उपभोक्ताओं को खाता खुलवाने से लेकर अन्य कामों को करते हैं. बैंक में उपभोक्ताओं के लिए फॉर्म भी भरा जाता है, जिससे इस बैंक में राम भक्त को प्रवेश मिलता है. फॉर्म में पूरे नियम लिखे गए है. जिसमें रामभक्त का नाम और पते के साथ ही व्यक्ति को राम नाम के कर्ज का कारण भरना पड़ता है और साथ में अपनी मन्नत.
[ad_2]
Source