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उत्तराखंड में फेसबुक के करीब 28 लाख और ट्विटर के three लाख के यूज़र हैं. इनमें ज्यादातर युवा हैं.
बीजेपी के साथ जुड़े हैं 10 लाख
सत्तारूढ़ बीजेपी कई सालों से सोशल मीडिया का प्रभावी इस्तेमाल चुनावों में करती रही है. पार्टी का दावा है कि उत्तराखंड में उसके सोशल मीडिया अकाउंट से 10 लाख में लोग जुड़े हुए हैं. बीजेपी का मानना है कि सोशल मीडिया के साथ पार्टी की वर्चुअल डिजिटल रैली में भी लोग ज्यादा से ज्यादा जुड़ रहे हैं. बीजेपी के आईटी सेल के प्रभारी शेखर वर्मा कहते हैं कि 2022 के चुनावों से पहले वह 15 लाख लोगों से जुड़ जाएंगे.
भाजपा प्रदेश की 70 विधानसभाओं में लगातार वर्चुअल रैली कर रही है और इन्हें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से लेकर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री, विधायक, पार्टी संगठन के पदाधिकारियों के साथ ही केंद्रीय मंत्री भी संबोधित कर रहे हैं. बीजेपी का दावा है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की वर्चुअल रैली में उत्तराखंड से 6 लाख लोग जुड़े थे और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की वर्चुअल रैली में 30 लाख लोग जुड़े थे.कांग्रेस की रीच है बेहतर
दूसरी तरफ बीते सवा तीन साल से विपक्ष की भूमिका निबाह रही कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी आंकड़ों का खेल करती है लेकिन सोशल मीडिया में रीच के मामले कांग्रेस की स्थिति कई गुना बेहतर है. उत्तराखंड कांग्रेस के आईटी सेल के प्रभारी अमरजीत सिंह कहते हैं कि सोशल मीडिया पर स्पीक इंडिया जैसे कार्यक्रम के उत्तराखंड में व्यूअर्स ज़्यादा हैं.
कांग्रेस नेता लगातार सोशल मीडिया पर लोगों से संपर्क में हैं. प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत नेता, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ ही अन्य पार्टी नेता लगातार सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं. सरकार की पेट्रोल-डीजल-रसोई गैस के अलावा अन्य चीज़ों की महंगाई के मुद्दे पर आम लोगों के बीच सरकार का विरोध कर अपनी बात रख रहे हैं.
युवा वोटरों पर है नज़र
उत्तराखंड में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म खासकर फेसबुक में 28 लाख के करीब और ट्विटर जैसे प्लेटफार्म में तीन लाख के करीब यूज़र हैं. इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ज्यादातर युवा जुड़े हुए हैं. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस यूथ के वोट को साधने के लिए लगातार सोशल मीडिया पर सक्रिय है.
दरअसल दोनों राजनीतिक दल जानते हैं कि आज के दौर में सोशल मीडिया से लोगों के बीच किसी मुद्दे पर राय बनाना और पार्टी का प्रचार प्रसार करना ज्यादा आसान और प्रभावी है. अब जो डिजिटली मजबूत होगा उसके आगे बढ़ने की संभावना बहुत बढ़ जाएगी. तकनीक के विस्तार के साथ ही डिजिटल मीडिया का असर तो चुनावों में बढ़ ही रहा था कोरोना वायरस ने इसे मजबूरी बना दिया है.
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