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क्या अपनी पहचान बता कर विकास दुबे अपनी जान बचा रहा था. कैसे गिरफ्तारी से बचने के लिए Eight पुलिस वालों की हत्या कर देने वाले दुर्दांत अपराधी को मंदिर के सीसीटीवी कैमरों के बीच four सिपाहियों और मंदिर के गार्डों ने ‘पकड़’ लिया.
Source: Information18Hindi
Last up to date on: July 9, 2020, 12:33 PM IST
शातिर दिमाग का इस्तेमाल
वैसे भी उसके दुर्दांत दुस्साहस ने विकास को इतना तो मशहूर कर ही दिया है कि नाम से उसे पहचान लिया जाए. इस अपराधी के शातिर होने की गवाही इसकी कार्यशैली से मिल ही चुकी है. ये अपराधी हर पार्टी के नेता और तमाम बड़े अधिकारियों के संपर्क में था. इसकी तमाम तस्वीरें मीडिया और सोशल साइटों पर हैं. कहीं इसी शातिर दिमाग का इस्तेमाल करके विकास दुबे ने महाकाल पहुंचने की योजना तो नहीं बनाई. उसे ये भी पता था कि महाकाल मंदिर परिसर के आसपास हर तरफ सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे. अगर उसे निहत्था मारने की कोशिश भी की जाती तो कैमरों में सब कुछ रिकॉर्ड हो जाता.
यूपी पुलिस से भाग रहा था
माना जा सकता है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान पुलिस भी बहुत सतर्क थी. हथियारबंद पुलिस वाले उसकी तलाश कर रहे थे. लेकिन उज्जैन जैसी जगह पर उसके पहुंचने की बहुत अधिक संभावना किसी को रही हो, इस पर सवाल है. अगर पुलिस को इसकी कोई सूचना होती तो और चाक चौबंद व्यवस्था होती. पुलिस वाले हथियारों से लैस होते. विकास लागातार यूपी पुलिस से भाग रहा था. उसे चिंता ये थी कि उत्तर प्रदेश पुलिस कहीं भी उसे पकड़ती तो, बहुत अधिक संभावना थी कि, उसे गोली मार देती. पुलिस के जवान आखिर आठ पुलिस वालों की हत्या से गुस्से में थे ही.
राजधानी का भी चक्कर लगायाइसी से बचने के लिए वो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के चक्कर लगा रहा था. उसे लग रहा था कि दिल्ली पुलिस बिना मुठभेड़ के गोली मारने से गुरेज करेगी. माना जा रहा है कि इसी कारण से वो फरीदाबाद में शरण लेने की कोशिश कर रहा था. बुधवार को ये चर्चा थी कि वो पुलिस की गोलियों से बचने के लिए मीडिया के कैमरों की शरण ले सकता है. इस वजह से फिल्म सिटी जहां सारे चैनलों के दफ्तर हैं, वहां पुलिस ने खास चौकसी लगा रखी थी.
मध्य प्रदेश पुलिस के दावे
गिरफ्तारी के बाद एमपी पुलिस के दावे आने लगे. पुलिस के आला अफसर कहने लगे कि पुलिस ने संदेह होने पर उसे पकड़ा. यहां तक कि जिले के डीएम ने भी पुलिस के सुर में सुर मिला लिया. फिर वही सवाल खड़ा हो गया कि जो आदमी खुद ही चिल्ला रहा है कि वही विकास दुबे है तो उस पर संदेह होने की क्या जरूरत है. हां ये बात अलग है कि पकड़े जाने के बाद उसके असली होने की तसदीक की जाती. जो की भी गई. पूरे प्रकरण में ऐसा लग रहा था कि पुलिस अफसर भी ये मानने से थोड़ा हिचक रहे थे कि इतना दुर्दांत अपराधी इतनी आसानी से पकड़ में आ गया. दरअसल ऐसा लगता है कि ये भी उसी की साजिश थी. इसमें भी वो सफल ही रहा. इसका मकसद उसका गुणगान करना नहीं, बल्कि ये बताना कि हमारी उत्तर प्रदेश पुलिस की नाकामी साबित हुई है. ये वही पुलिस है जो अपराधियो को कोर्ट तक में सरेंडर करने से रोकने के लिए कोर्ट को छावनी बनाने से नहीं चूकती. विकास के मामले में तो हाई टेक हो चुकी यूपी पुलिस की इलेक्ट्रॉनिक सर्विलेंस जैसी चीज सुनने में ही नहीं आई. यहां तक कि जब विकास और उसके साथी फरीदाबाद में देखे गए तो उनके पास असलहे भी थे. यानी वे हथियार लेकर चल रहे थे.
8 पुलिस वालों के हत्यारे को सिपाहियों ने ‘पकड़ा’
बहरहाल जो भी हो, विकास दुबे अपनी जान बचाने में सफल हो गया. एक अपराधी जिसने उत्तर प्रदेश पुलिस के एक गजेटेड ऑफिसर समेत आठ पुलिस वालों की हत्या कर दी थी उसे मंदिर की सुरक्षा में लगे कुछ निहत्थे से दिखने वाले सिपाहियों और गार्डों ने कथित तौर पर पकड़ लिया.
First printed: July 9, 2020, 11:08 AM IST
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