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हरेला उत्तरखण्ड में मनाया जाने वाला वो पर्व है जो पर्यावरण और किसानों से जुड़ा है. इस पर्व के दौरान 10 दिन पहले घरों में पूड़ा बनाकर पांच या 7 प्रकार के अनाज गेहूं, जौ, मक्का, गहत, सरसों और अन्य को बोया जाता है. इसमें जल चढ़ाकर घरों में रोज़ इसकी पूजा की जाती है. किसान इस दौरान अपनी खेती की फसल की पैदावार का भी अनुमान लगाते है.
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