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इसी बैली ब्रिज की मदद से सेना और आईटीबीपी के जवान चीन सीमा के करीब मिलम तक जाते हैं.
जिमिगाड़ में समा जाएगा यह पुल
धापा से आगे लीलम मोटरमार्ग में जिमिगाड़ में बना बीआरओ का बैली ब्रिज सुरक्षा दीवार टूटने से हवा में लटक गया है. इसी बैली ब्रिज की मदद से सेना और आईटीबीपी के जवान चीन सीमा के करीब मिलम तक जाते हैं. यही नहीं सैन्य ज़रूरत का सामान भी इसी पुल की मदद से बॉर्डर तक पहुंचता है. जौहार घाटी को भी यही पुल जोड़ता है.
पुल के एक तरफ का पुस्ता जिमिगाड़ नाले के तेज बहाव में टूट गया है. स्थानीय निवासी सुरेंद्र सिंह का कहना है कि पुल का एक हिस्सा गिरने से जौहार घाटी के लोगों को खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही है. वह बताते हैं कि अगर बीआरओ ने जल्द ही पुश्ता तैयार नहीं किया तो तय है कि बैली ब्रिज जिमिगाड़ में पूरी तरह समा जाएगा.
दूसरे रास्तों में भी बढ़ी मुश्किलें
धारचूला से लिपुलेख की राह भी बरसात के दिनों में खासी मुश्किल हो गई है. बीते एक हफ्ते से चीन सीमार को जोड़ने वाले इस मोटरमार्ग में जगह-जगह भूस्खलन हो रहा है. तवाघाट, घटियाबगड़, मांगती, मालपा, लखनपुर, बूंदी में आए दिन पहाड़ दरक रहे हैं.
बीआरओ अहम मोटरमार्ग को खोलने में जुटा तो है, लेकिन भारी बरसात में यह काम आसान भी नहीं है. पिथौरागढ़ के डीएम विजय जोगदंडे का कहना है कि बंद पड़ी सभी सड़कों को खोलने के लिए संबंधित विभागों को सख्त निर्देश दिए गए हैं. चीन और नेपाल के साथ जारी विवाद को देखते हुए बॉर्डर के इलाकों में सेना, आईटीबीपी और एसएसबी की आवाजाही इन दिनों तेज़ है लेकिन आसमानी आफत उनकी राह में सबसे बड़ी बाधा बन गई है.
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