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अल्पना (Alpna) कहती है, घर में एक साल का छोटा बच्चा है. मैं अभी उसे भी वक़्त नहीं दे पाती क्योंकि इस महामारी (COVID-19) में कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें अगर सही-समय पर उचित देखभाल नहीं मिला तो संक्रमण से उनकी स्थिति ज्यादा खराब हो सकती है.
अल्पना कहती है, घर में एक साल का छोटा बच्चा है. मैं अभी उसे भी वक़्त नहीं दे पाती क्योंकि इस महामारी में कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें अगर सही-समय पर उचित देखभाल नहीं मिला तो संक्रमण से उनकी स्थिति ज्यादा खराब हो सकती है. इस आपातकालीन घड़ी में लोग हम जैसे कई स्वास्थ्यकर्मियों से उम्मीद लगाए हुए हैं. यही वजह है कि मैं पिछले three महीने से बिना छुट्टी लिए आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी कर रही हूं ताकि मरीजों की देखभाल में किसी भी प्रकार की कमी न हो सके. अल्पना कहती हैं कि कोरोना संक्रमण के कारण लोगों में बढ़ रही परेशानी को उन्होंने काफी करीब से देखा और महसूस किया है.
घर की भी जिम्मेदारी
अल्पना बताती हैं वह उस दिन का बेसब्री से इंतजार कही है, जब जिले में कोरोना संक्रमण का प्रसार रुक जाएगा और लोग पूरी तरह स्वस्थ हो जाएंगे. अल्पना मरीज को सलाह ही नहीं बल्कि हर परिस्थिति में उनका इलाज करने में डॉक्टरों को सहयोग भी करती हैं. मानवता की सेवा में जुटी एएनएम भी कोरोना को परास्त करने की लड़ाई लड़ी रही हैं. अल्पना इस महामारी के दौर में न सिर्फ घर की जिम्मेदारियों को उठा रही हैं, बल्कि संक्रमितों की दिन-रात सेवा करने में जुटी है. उनका यह योगदान कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई को आसान बनाने के साथ लोगों के बीच एक सकारत्मक सन्देश भी दे रहा है. एएनएम अल्पना कहती हैं कि एक स्वास्थ्य कर्मी होने के नाते उनका कर्तव्य है लोगों की सेवा करना. इस संकट की घड़ी में तो लोगों को उनकी अधिक जरूरत है. जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के बड़ी संख्या में निकलने के बाद वह भी थोड़ी परेशानी हुई लेकिन अब डर की जगह वह सेवाभाव से भर चुकी हैं. उन्होंने बताया कि वह कोरोना की रोकथाम के मद्देनजर बहुत सतर्क रहती हैं. आइसोलेशन वार्ड में अपनी ड्यूटी के वक्त मास्क, दस्ताने एवं शारीरिक दूरी का तो ख्याल रखती है. साथ ही घर लौटने पर भी बचाव के उपायों का ख्याल रखती हैं ताकि उनकी गलती से घर वाले संक्रमित होने से बच सकें.ये भी पढ़ें: 9वीं से 12वीं तक 30 फीसदी कोर्स कम, UP बोर्ड के फैसले पर अब सियासी बखेड़ा
तीन महीने से दी रहीं सेवा
अल्पना बताती हैं कि कोरोना की विषम परिस्थिति में करीब तीन माह से अपनी सेवा आइसोलेशन वार्ड में दे रहीं हूं. एक मई से मेरी ड्यूटी यहां पर लगी है तब से लेकर लगातार कोरोना संक्रमितों की सेवा कर रही हूं. उन्होंने बताया उनका कार्य कोरोना संक्रमित की दवा देना, स्वास्थ्य जांच करना, पंजीयन करना भी है. आइसोलेशन सेंटर में जो भी काम उन्हें दिया जाता है उसे वह बखूबी पूरा करने की कोशित करती हैं.
अल्पना अपने एक साल के बच्चे को अपनी सास के पास छोड़ कर ड्यूटी पर जाती हैं. वह कहती हैं, उनके घरवाले भी उनका हौसला बढ़ाते हैं. निडर होकर लोगों की सेवा करने की सीख देती हैं. ऐसे में अल्पना की सास भी किसी कोरोना योद्धा से कम नहीं है जो अल्पना का हर तरीके से सहयोग कर रही हैं. अल्पना बताती हैं कि पहले कोविड-19 को लेकर मन में डर सा था, लेकिन अब कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों का इलाज करते-करते मन से डर खत्म हो गया है.
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