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सामना ने संपादकीय में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर (Ram Mandir Bhoomi Pujan) के लिए पहली कुदाल चलाएंगे. उस मिट्टी में कारसेवकों के त्याग की गंध है. इसे भूलने वाले रामद्रोही साबित होंगे.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा है कि बाबरी गिरी. उसे गिराने वाले शिवसैनिकों पर हमें गर्व है! इस एक गर्जना से बालासाहेब ठाकरे हिंदू हृदय सम्राट के रूप में करोड़ों हिंदुओं के दिल के राजा बन गए थे. सभी के त्याग, संघर्ष, रक्त और बलिदान से आज का राम मंदिर अयोध्या में साकार रूप ले रहा है.
सामना ने संपादकीय में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर (Ram Mandir Bhoomi Pujan) के लिए पहली कुदाल चलाएंगे. उस मिट्टी में कारसेवकों के त्याग की गंध है. इसे भूलने वाले रामद्रोही साबित होंगे. बाबरी के पतन से संघर्ष समाप्त हो गया. राम मंदिर भूमि पूजन से इस मुद्दे की राजनीति भी हमेशा के लिए समाप्त हो. श्रीराम की यही इच्छा होगी! सारा देश आज एक ही सुर में गरज रहा है. जय श्रीराम! जय श्रीराम!!
सामना ने संपादकीय में कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय का सारा मामला तारीखों में उलझ गया लेकिन पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने भगवान राम को इस उलझन से बाहर निकाला और राम मंदिर के पक्ष में स्पष्ट फैसला सुनाया. रंजन गोगोई का नाम विशेष निमंत्रित लोगों की सूची में कहीं होना चाहिए था. लेकिन न रंजन गोगोई और न ही बाबरी ढांचा गिराने वाली शिवसेना सूची में शामिल है. राम मंदिर भूमि पूजन समारोह का श्रेय किसी दूसरे को न मिलने पाए, यह वैसी जिद है.सामना ने संपादकीय में कहा है कि नरसिंह राव जब प्रधानमंत्री थे, उसी दौरान बाबरी गिरी. उन्होंने बाबरी को पूरी तरह से गिरने दिया. उस समय राष्ट्रपति भवन में शंकरदयाल शर्मा थे. शर्मा और राव 6 दिसंबर को मानो बाबरी का कलंक मिटने की प्रार्थना करते हुए ही बैठे थे.
सामना ने संपादकीय में कहा है कि उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह थे. बाबरी ढांचा पूरी तरह से जमींदोज होते ही कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. राम मंदिर के लिए कल्याण सिंह ने अपनी सरकार का ही त्याग कर दिया. वो कल्याण सिंह आज के स्वर्ण समारोह के मंच पर नहीं हैं लेकिन निमंत्रितों की सूची में हों, ऐसी अपेक्षा है.
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