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कानून के जानकारों का मानना है कि बेशक, विकास दुबे (Vikas Dubey) ने बहुत जघन्य काम किया था, लेकिन अगर उसे न्यायालय (Court) के जरिए सजा मिलती तो लोगों को न्यायपालिका में विश्वास और गहरा होता. पिछले साल हैदरबाद एनकाउंटर (Hyderabad Encounter) के बाद देश में एक नई परंपरा की शुरुआत हो गई है, जिसे यूपी पुलिस (UP Police) ने भी कायम रखा.
कानून के जानकारों का क्या कहना है
कानून के जानकारों का मानना है कि बेशक, विकास दुबे ने बहुत जघन्य काम किया था, लेकिन अगर उसे न्यायालय के जरिए सजा मिलती तो लोगों को न्यायपालिका में विश्वास और गहरा होता. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रविशंकर कुमार कहते हैं. ‘विकास दुबे के आपराधिक इतिहास और उसके बयानों से लगता है कि उसके कई राजनेताओं और कई पुलिसकर्मियों के संबंध थे. कानपुर घटना के मीडिया रिपोर्ट्स में उसके बड़े-बड़े लोगों के साथ संबंध होने की खबर आ रही थी. ऐसे में हाल के दिनों में जो परिस्थिति बनी थी उससे फर्जी एनकाउंटर की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता. पिछले साल हैदराबाद एनकाउंटर के बाद से देश में एक नई परंपरा की शुरुआत हो गई है. भारत जैसे देशों में इस तरह की परंपरा का शुरू होना न्यायपालिका की विश्वसनीयता को कमजोर कर सकता है.’
यूपी पुलिस फिलहाल एक अजीबोगरीब परिस्थिति से जूझ रही है या अगले कुछ दिनों तक जूझेगी.
पुलिस की थ्योरी में कितना दम?
इस घटना के बाद यूपी पुलिस अजीबोगरीब परिस्थिति से जूझेगी. एसएसपी कानपुर के मुताबिक कुछ गाड़ियां एसटीएफ की गाड़ियां का पीछा कर रही थी और इससे बचने के लिए एसटीएफ ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी और एक्सीडेंट हो गया. कई लोगों को लग रहा है कि विकास दुबे की ‘एनकाउंटर’ की कहानी झूठी है. कानून के जानकारों का मानना है कि वास्तव में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए शिक्षित किए गए पुलिस अधिकारियों को खुद ‘हिंसा’ के ऐसे कृत्यों का सहारा लेना पड़ा?
हैदराबाद एनकाउंटर के बाद नई परंपरा की शुरुआत
बता दें कि पिछले साल दिसंबर महीने में हैदराबाद में एक महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के बाद चार अभियुक्तों का सीन क्रिएशन के नाम पर पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया था. इस घटना के बाद कोर्ट ने कहा था कि इस तरह की हत्याओं की जांच स्वतंत्र तरीके से होनी चाहिए. कोर्ट ने तब कहा था कि इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट दायर की जानी चाहिए और उस आधार पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
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पिछले साल हैदराबाद पुलिस के एनकाउंटर की आलोचना की गई थी, लेकिन उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने हैदराबाद में एनकाउंटर का मुद्दा उठाया था. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में अभी भी यह मामला लंबित है. हालांकि, कानून के कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि अदालतों से न्याय मिलने में इतनी देर होती है कि अब इस तरह के मामले सामने आने लगे.
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