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पूर्वांचल में निषादों को अपनी ताकत का एहसास 2018 में तब हुआ जब सपा और बसपा के समर्थन से गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में विजय हासिल कर ली. तब से निषादों को सभी पार्टियां अपने पाले में लाने में जुटी रहीं.
पूर्वांचल में निषादों को अपनी ताकत का एहसास 2018 में हुआ
पूर्वांचल में निषादों को अपनी ताकत का एहसास 2018 में तब हुआ जब सपा और बसपा के समर्थन से गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में एक चमत्कार जैसा करते हुए विजय हासिल कर ली. उसके बाद से निषादों को सभी पार्टियां अपने पाले में लाने में जुटी रहीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी भाजपा के साथ आ गई और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पुत्र प्रवीण निषाद भाजपा के टिकट पर संतकबीरनगर सीट से सांसद चुने गए. यूपी में निषाद वोट करीब 7 प्रतिशत है. निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट जैसी उपजातियों के नाम से जानी जाती है. 2019 के चुनावों में निषादों को अपने पाले में लाने के लिए प्रियंका गांधी ने निषाद बहुल क्षेत्रों में नाव यात्रा भी की थी. अब सपा और बसपा जैसी पार्टियां अपने कोर वोट बैंक के साथ अगड़ी जातियों पर दांव खेल रही हैं, तो वहीं भाजपा कभी इन पार्टियों के वोट बैंक रहे अतिपिछड़ों पर दांव खेलकर उन्हें अपने पाले में लाने में जुटी हुई है.
इस चाल से यूपी के साथ बिहार विस चुनाव में भी हो सकता है फायदाभाजपा का अतिपिछड़ा कार्ड न सिर्फ यूपी बल्कि बिहार के विधानसभा चुनाव में फायदा पहुंचा सकता है. बिहार से सटे गोरखपुर से अतिपिछड़ी जाति के जय प्रकाश निषाद को भाजपा ने राज्यसभा भेजा है. बिहार में मौजूदा समय में नीतीश कुमार की राजनीति अतिपिछड़ों पर ही टिकी है. इसलिए भाजपा निषादों को अपने पक्ष में लामबंद करने के साथ-साथ अतिपिछड़ों को भी अपने पाले में खड़ा रखना चाहती है. जिस जय प्रकाश निषाद को भाजपा ने राज्यसभा भेजा है वे बसपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं. चौरी चौरा से विधायक रहे हैं. 2017 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद 2018 में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था. इसके बाद भाजपा ने इन्हें गोरखपुर क्षेत्र से क्षेत्रीय उपाध्यक्ष और पूर्वांचल विकास बोर्ड का सदस्य भी बनाया था. अब राज्यसभा भेजकर भाजपा ने इनके कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी दे दी है.
2015 में एकजुट होने लगे थे निषाद
गौरतलब है कि 2015 में गोरखपुर के कसरावल में हुए उग्र आंदोलन में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. इसके बाद से निषाद धीरे-धीरे एक होने लगे. इसी के साथ संजय निषाद ने निषाद पार्टी का गठन कर 2017 के विधानसभा चुनाव में 62 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. पर तब उन्हें भदोही की सीट छोड़ सभी जगह हार का सामना करना पड़ा था.
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